वात पित्त कफ प्रकृति के लक्षण ,गुण और स्वभाव | Vata Pitta and Kapha Meaning

Last Updated on July 17, 2019 by admin

स्त्री-पुरुष के संयोग के समय वीर्य, रज, स्त्री का भोजन, स्त्री की चेष्टा और गर्भाशय, इन पाँचों में जो दोष अधिक होता है, उसी दोष के अनुसार गर्भ में जीव की प्रकृति होती है। प्रकृतियाँ सात होती हैं ।
(१) वात प्रकृति। (२) पित्त-प्रकृति। ( ३ ) कफ-प्रकृति। (४) वात-पित्त-प्रकृति। (५) वात-कफ-प्रकृति। (६) पित्त-कफ-प्रकृति। (७) त्रिदोषज प्रकृति। ।

वात प्रकृति के लक्षण : vata prakriti in hindi

• जो मनुष्य थोड़ा सोता और बहुत जागता है, उसके बाल छोटे-छोटे और थोड़े होते हैं, जिसका शरीर दुबला-पतला होता है, जो जल्दी-जल्दी चलता है, जो बहुत बोलता है, जिसका शरीर रूखा होता है, जिसका चित्त एक जगह नहीं ठहरता और सोता हुआ सपने में आकाश-मार्ग से चलता है—वह मनुष्य “वात-प्रकृति” वाला कहलाता है।
• वाग्भट्ट में लिखा है, कि वात-प्रकृति वाले मनुष्य का स्वभाव प्रायः दुष्ट होता है। उसे ठण्डी चीजों से द्वेष होता है।
• उसकी धृति, स्मृति, बुद्धि, चेष्टा, मैत्री, दृष्टि और चाल चंचल होती है वह बहुत बकवादी, कम सोने वाला और कम जीने वाला तथा निर्बल होता है।
• वह टूटी-फूटी बातें हकला कर कहता है; भोजन अधिक करता है; भोग-विलास, गाने, हँसने, शिकार और लड़ाई-झगड़े में अधिक रुचि रखता है।
• मीठे, खट्ट, गर्म और चरपरे पदार्थ उसके अनुकूल होते हैं।
• उसके गले से, पानी पीने में, आवाज़ निकलती है।
• वह दृढ़, जितेन्द्रिय, स्त्रियों का प्यारा और कम सन्तान वाला होता है।
• वह स्वप्न में पर्वत, आकाश और वृक्षादिकों पर चलता है।
• वात प्रकृति वाला मनुष्य भाग्यहीन, दूसरे को देख कर जलने वाला और चोर होता है।
• उसके बाल और शरीर फटे हुए-से और धूमिल रंग के होते हैं;
• आँखें गोल, सुन्दरता-रहित, धूमिल और रूखी होती हैं तथा सोते वक्त मुर्दे के समान खुली रहती है;
• शरीर दुबला और लम्बा होता है तथा पाँव की पिंडलियाँ गाँठ-आँठीली होती हैं।
• उसकी प्रकृति, आवाज और रूप वगैरः कुत्ते, गीदड़, ऊँट, चूहे, कव्वे और उल्लू के समान होते हैं।

पित्त प्रकृति के लक्षण : pitta prakriti in hindi

• जिस मनुष्य के बाल थोड़ी अवस्था में सफेद हो जाते हैं, जिसके बहुत पसीने आते हैं, जो क्रोधी, विद्वान, बहुत खाने वाला, लाल आँखों वाला तथा स्वप्न में अग्नि, तारे, सूर्य, चन्द्रमा, बिजली आदि चमकीले पदार्थों को देखने वाला होता है उसे पित्त-प्रकृति समझना चाहिये।
• वाग्भट्र में लिखा है, कि पित्त ‘अग्नि-रूप है अथवा वह अग्नि से पैदा हुआ है। यही सबब है कि पित्त-प्रकृति वाले मनुष्य को भूख और प्यास बहुत लगती है।
• इस प्रकृति वाला शुर-वीर, अत्यन्त मानी, फूल-चन्दनादि के लेपन को चाहने वाला, अच्छे चाल-चलन से चलने वाला, पवित्र, अपने आश्रय में रहने वालों पर दया-दृष्टि रखने वाला, साहसी, बुद्धिमान, भयभीत, शत्रुओं की भी रक्षा करने वाला और स्त्रियों से कम प्रीति रखने वाला होता है।
• इस प्रकृति वाला मनुष्य धर्म का द्वेषी होता है। इसके शरीर में पसीने बहुत आते हैं और यह मीठे, कड़वे, कसैले तथा शीतल पदार्थों पर रुचि रखता है।
• इसके शरीर में बदबू-सी आया करती है। इसे क्रोध बहुत आता है और यह इर्षा-द्वेष भी अधिक रखता है, एवं बहुत खाता-पीता और बहुत ही पाख़ाने जाता है।
• इस प्रकृति वाले का शरीर गोरा और गर्म होता है तथा, हाथ, पाँव और मुँह लाल होते हैं एवं बाल
और मांस ढीले होते हैं।
• इसमें वीर्य कम और कामेच्छा भी कम होती है।
• इसकी आँखों की पुतलियाँ पीली होती हैं। इसकी आँखें क्रोध करने, शराब पीने या सूर्य की चमक से तत्काल सुर्ख हो जाती हैं।
• इस प्रकृति वाला मनुष्य मध्यम आयु भोगता है, क्लेश से डरता है और बलवान होता है।
• इसकी प्रकृति बाघ, रीछ, भेड़िये या बन्दर से मिलती है।
• जब यह सोता है, तब इसे स्वप्न में कनेर या ढाक वगैरः के फूल, जलती हुई दिशाएँ, तारों का टूटना, बिजली, सूर्य और अग्नि वगैरः दिखाई दिया करते हैं।

कफ प्रकृति के लक्षण : kapha prakriti in hindi

• जो मनुष्य क्षमावान, वीर्यवान, महाबली, मोटा, बँधे हुए शरीर वाला, समडौल और स्थिर-चित्त होता है, एवं स्वप्न में नदी, तालाब आदि जलाशयों को देखा करता है, वह कफ-प्रकृति वाला होता है।
• वाग्भट्ट में लिखा है, कि कफ का स्वरूप चन्द्रमा के समान होता है, इस लिये कफ-प्रकृति वाला मनुष्य सौम्य होता है।
• इसकी सन्धियाँ, हड्डियाँ और मांस आपस में मिले हुए, चिकने और गूढ़ होते हैं।
• इसके शरीर का रङ्ग दूब, मुँज, कुशा, गोलोचन, कमल और सुवर्ण के समान होता है तथा भुजाएँ लम्बी, छाती पुष्ट और चौड़ी होती है।
• इसका कपाल बड़ा, अंग कोमल, शरीर सम और सुन्दर तथा बाल घने और काले होते है।
• आँखों के कोये लाल और चिकने होते हैं।
• इस प्रकृति वाला मनुष्य भूख, प्यास, दु:ख और क्लेश से दुःखित नहीं होता।
• यह मनुष्य बुद्धिमान, सतोगुणी, वचन पालने वाला, शृङ्गार रस-प्रिय, धर्मात्मा, कठोर वचन न बोलने वाला और गुप्त रीति से दुश्मन के साथ बहुत दिनों तक दुश्मनी रखने वाला होता है।
• इसकी आवाज़ बादल, समुद्र, मृदङ्ग या शंख के समान होती है।
• इस शख्स के नौकर और पुत्र बहुत होते हैं।
• यह पुरुष उद्योगी और नम्र होता है तथा कड़वे, कसैले, तीक्ष्ण, गर्म और रूखे पदार्थों को पसन्द करता एवं भोजन थोड़ा करता है; क्योंकि इसे भूख कम लगती है।
• यह बुद्धिमान और कम क्रोधी होता है; लेकिन काम करने में बहुत देर करता है, विचार-ही-विचार में बहुत दिन गवां देता है।
• यह मनोहर बात बोलने वाला, गम्भीर-हृदय, क्षमावान, अधिक सोने वाला, सरल-स्वभाव, विद्वान, शर्मदार, गुरुभक्त तथा प्रेम को स्थिर रखने वाला होता है।
• स्वप्न में यह कमल या चकवा-चकवियों की पंक्ति से युक्त जलाशय देखा करता है।
• इस प्रकृति वाला मनुष्य विष्णु, रुद्र, इन्द्र, वरुण, गरुड़, अग्नि, हाथी, घोड़ा, सिंह, गाय और बैल के स्वभाव वाला होता है।

( और पढ़े – प्रकुपित वात पित्त कफ का इलाज )

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