तबसे बैठा देख रहा हूँ फिर आनेकी राह (प्रेरक कहानी) | Prerak Hindi Kahani
बोध कथा : Hindi Moral Story उन दिनों हरद्वारमें अर्धकुम्भीका मेला था। मैं भी गया था। मैंने तीन दिनसे लक्ष्य किया कि एक सिपाही सरकारी वर्दी में एक करीलके नीचे बैठा माला जपा करता है। …