यज्ञ में पशुबलि अनुचित क्यों ?

yagya me pasu bali anuchit kyun

महर्षि वेदव्यास ने कहा है सुरा मत्स्याः पशोर्मास द्विजातीनां बलिस्तथा। धूर्तेः प्रवर्तितं यज्ञे, नैतद् वेदेषु कथ्यते ॥ -महाभारत, शांतिपर्व 15 अर्थात् मद्य (शराब), मछली और पशुओं का मांस और यज्ञ में द्विजाति आदि मनुष्यों की …

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