शंखपुष्पी के फायदे, गुण, उपयोग और नुकसान | Shankhpushpi Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on May 15, 2023 by admin

शंखपुष्पी क्या है ? : Shankhpushpi in Hindi

रत्नाकर निघण्टु के अनुसार शंखपुष्पी स्मरणशक्ति वर्द्धक, कान्तिदायक, तेज बढ़ाने वाली और मस्तिष्क को बल देने वाली वनस्पति है। फूलों के भेद से शंखपुष्पी तीन प्रकार की होती है-
(1) सफ़ेद फूल वाली (2) लाल और (3) नीले फूल वाली।

तीनों के गुण एक जैसे होते हैं और व्यवहार में सफ़ेद फूल वाली शंखपुष्पी का ही उपयोग किया जाता है। यह बेल (लता) के रूप में ज़मीन पर फैली हुई होती है और एक हाथ से ऊंची नहीं होती। ये सारे भारत में पैदा होती है और सब जगह जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों पर मिलती हैं।

मस्तिष्क को बल देने वाली तीन वनस्पतियों का वर्णन आयुर्वेद में मिलता है। उनमें से एक शंखपुष्पी है और अन्य दो है- ब्राह्मी तथा वच लेकिन ‘मेध्या विशेषेण च शंखपुष्पी’ (चरक) के अनुसार शंखपुष्पी, मेधा शक्ति के लिए, विशेष रूप से हितकारी है। वाग्भट ने भी कहा है – ‘मेध्यानि चैतानि रसायनानि मेध्या विशेषेण तु शंखपुष्पी’ अर्थात् मेधा शक्ति (दिमागी ताक़त) बढ़ाने वाले उत्तम रसायन- द्रव्यों में शंखपुष्पी सर्व श्रेष्ठ है।

मंगलकारी होने से इसे ‘मांगल्यकुसुमा’ भी कहा जाता है। भावप्रकाश निघण्टु के अलावा अन्य आयुर्वेदिक, यूनानी एवं आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में भी शंखपुष्पी की बहुत प्रशंसा की गई है। ‘वनौषधि चन्द्रोदय’ के लेखक श्री चन्दराज भण्डारी लिखते हैं कि शंखपुष्पी मस्तिष्क को शक्ति और शान्ति देती है। डॉक्टर देसाई इसे नर्व टॉनिक कहते हैं तो डिमक इसे वैदिक काल से उपयोग में ली जाने वाली बलबुद्धि वर्द्धक औषधि मानते हैं। यूनानी मत के अनुसार यह तर, बल्य और रसायन है।

शंखपुष्पी का विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • संस्कृत – शंखपुष्पी ।
  • हिन्दी – शंखाहुली |
  • मराठी – शंखावड़ी।
  • गुजराती -शंखावली ।
  • बंगला – शंखाहुलि ।
  • कन्नड़ – शंखपुष्पी ।
  • लैटिन – प्लेडेराडेकूसेट (Pladera Decussate)।

शंखपुष्पी के औषधीय गुण :

शंखपुष्पी दस्तावर, मेधा के लिए हितकारी, पौष्टिक, मानसिक कमज़ोरी को दूर करने वाली, रसायन गुणवाली, कसैली,गर्म तथा स्मरणशक्ति, कान्ति, बल और अग्नि को बढ़ाने वाली है तथा दोष, अपस्मार,दरिद्रता, कुष्ठ, कृमि तथा विषाक्त प्रभाव को नष्ट करने वाली है। यह स्वर को उत्तम करने वाली, मंगलकारी, अवस्था स्थापक तथा मानसिक रोगों को नष्ट करने वाली है।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में शंखपुष्पी के लाभ :

अब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (एलोपैथी) के वैज्ञानिकों की, शंखपुष्पी के विषय में, क्या राय है, इसकी थोड़ी सी झलक प्रस्तुत करते हैं।

  • इण्डियन जरनल ऑफ मेडिकल रिसर्च में डॉ. शर्मा ने, मानसिक उत्तजेना का शमन करने वाले, शंखपुष्पी के गुणों की विस्तार से चर्चा की है। इसके प्रयोग से, प्रायोगिक जीवों में स्वतः होने वाली मांसपेशियों की हलचल घट गई । चूहों में ‘फिनोबार्व’ द्वारा उत्पन्न की गई निद्रा बढ़ गई और मार्फिन के दर्द नाशक प्रभाव की भी वृद्धि हुई। उनकी लड़ने की प्रवृत्ति में कमी हुई। प्रायोगिक जीवों में विद्युत के झटकों (इलेक्ट्रिकल शॉक) द्वारा उत्पन्न किये गये आक्षेप (कन्वल्शन-जैसे मिरगी में इझटके आते है) तथा कम्पन, शंखपुष्पी के प्रयोग से शान्त हो गये।
  • थायराइड ग्रन्थि से अति स्राव के कारण होने वाली घबराहट, अनिद्रा व कम्पन जैसी उत्तेजना पूर्ण स्थिति का शमन करने में भी शंखपुष्पी अत्यन्त सफल सिद्ध हुई है।
  • बनारस हिन्दु युनिर्वसिटी के डॉ. गुप्ता, डॉ.प्रसाद और डॉ. उडप्पा के अनुसार ‘थायरोटाक्सिकोसिस’ के नवीन रोगियों के लिए शंखपुष्पी का उपयोग, आधुनिक औषधियों (एलोपैथिक मेडिशन्स) की अपेक्षा अधिक गुणकारी सिद्ध हुआ है।
  • यदि थायराइड के किसी रोगी को, एलोपैथिक एण्टीथायराइड दवा खाने से, किसी दुष्प्रभाव से पीड़ित होना पड़ रहा हो तो उसे भी शंखपुष्पी के सेवन से, दुष्प्रभाव से मुक्ति मिली है। शंखपुष्पी के ऐसे गुणों के कारण, इस जड़ी बूटी पर, विस्तृत जांच पड़ताल की जा रही है।
  • सेण्ट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक, अनुसन्धान करके इस निष्र्कष पर पहुंचे हैं कि थायराइड ग्रन्थि पर शंखपुष्पी का सीधा प्रभाव पड़ता है और यह थायराइड की कोशिकाओं के स्राव को नियमित करती है।
  • इसके प्रयोग से, मस्तिष्क में ऐसिटाइल कोलीन नामक महत्वपूर्ण न्यूरोकेमिकल की मात्रा बढ़ गई और इसका बढ़ना इस तथ्य का सूचक होता है कि उत्तेजना के लिए उत्तरदायी केन्द्र शान्त हो रहा है। यह उत्तेजना शामक प्रभाव रक्तचाप पर भी अच्छा असर करता है।
  • प्रयोगों में यह परिणाम भी पाया गया है कि भावनात्मक क्षोभ और तनाव जन्य उच्च रक्तचाप में भी यह अच्छा काम करती है, नींद अच्छी लाती है और हृदय पर शमन कारी प्रभाव डालती है। एडिक्शन करने वाले ट्रॅक्ववेलाइज़र ड्रग्स की तुलना में, शंखपुष्पी का सेवन करना, निरापद रूप से हितकारी सिद्ध होता है।

शंखपुष्पी सेवन विधि और मात्रा :

इसका ताज़ा रस 4-5 चम्मच, चूर्ण आधा से एक चम्मच और फाण्ट आधा कप मात्रा में सुबह शाम।
इसका पंचांग उपयोग में लिया जाता है।

शंखपुष्पी के फायदे व औषधीय प्रयोग : Health Benefits and Uses of Shankhpushpi in Hindi

शंखपुष्पी के विषय में प्राचीन और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विद्वानों के विचार प्रस्तुत कर हमने शंखपुष्पी की महिमा, गुणवत्ता और उपयोगिता का परिचय दे दिया है, अब शंखपुष्पी के उपयोग के बारे में जानकारी प्रस्तुत करते हैं

1. उन्माद में शंखपुष्पी के फायदे : उन्माद रोग से पीड़ित रोगी को शंखपुष्पी चूर्ण 1-1 चम्मच या शंखपुष्पी वटी 2-2 गोली सुबह शाम पानी के साथ लेना चाहिए। इस प्रयोग से उच्च रक्तचाप में भी लाभ होता है।

2. सिर दर्द में शंखपुष्पी के फायदे : सिर दर्द दूर करने के लिए शंखपुष्पी वटी 2-2 गोली और शिरशूलहर वटी 2-2 गोली सुबह शाम पानी के साथ लेने से सिर दर्द दूर होता है, परीक्षित है। ( और पढ़े – सिर दर्द के 41 घरेलू नुस्खे)

3. दिमागी ताक़त बढ़ाने में शंखपुष्पी के फायदे : छात्र-छात्राओं तथा जो लोग ज्यादा दिमागी काम करते हैं उनको दिमागी ताक़त की बहुत ज़रूरत होती है। ऐसे सभी लोगों को, विशेष कर छात्र-छात्राओं को शंखपुष्पी का महीन पिसा छना चूर्ण 1-1 चम्मच, सुबह शाम, मीठे दूध के साथ 3-4 मास तक सेवन करना चाहिए। ( और पढ़े – यादशक्ति बढ़ा कर दिमाग को तेज करते है यह 42 आयुर्वेदिक नुस्खे )

4. शुक्र मेह में शंखपुष्पी के फायदे : शंखपुष्पी का चूर्ण एक चम्मच, पिसी हुई काली मिर्च आधा चम्मच मिला कर सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से शुक्रमेह रोग दूर हो जाता है।

5. ज्वर में प्रलाप रोग में शंखपुष्पी के फायदे : बहुत तेज़ बुखार होने पर रोगी का मानसिक नियन्त्रण असन्तुलित हो जाता है और वह अण्टशण्ट बोलने लगता है। ऐसी स्थिति में शंखपुष्पी का चूर्ण और पिसी मिश्री 1-1 चम्मच मिला कर दिन में 3-4 बार पानी के साथ देने से रोगी को राहत मिलती है और नींद भी अच्छी आती है। लू लगने से हुए बुखार में भी इस प्रयोग से लाभ होता है।

6. शय्या मूत्र में शंखपुष्पी के फायदे : रात को सोते हुए बच्चे बिस्तर में पेशाब कर देते हैं इसे ‘शय्या मूत्र (बेड वेटिंग) कहते हैं। शंखपुष्पी चूर्ण आधा छोटा चम्मच व आधा चम्मच काले तिल थोड़े गुड़ में मिला कर बच्चे को खिला दें और 1 कप दूध पिला दें। थोड़े दिन तक लगातार यह प्रयोग करने से बच्चे इस रोग से मुक्त हो जाते हैं। ( और पढ़े –बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या से छुटकारा देंगे यह 20 घरेलु उपचार )

7. उच्च रक्तचाप में शंखपुष्पी के फायदे : उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगी को शंखपुष्पी का काढ़ा बना कर सुबह शाम पीना चाहिए। दो कप पानी में, दो चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण डाल कर उबालें । जब पानी आधा कप रह जाए तो उतार कर ठण्डा करके छान लें। यही काढ़ा है। ऐसा काढा सुबह शाम 3-4 दिन तक ले कर फिर 1-1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ लने लगें । उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाने के बाद भी, 1-2 सप्ताह तक यह प्रयोग जारी रखें। ( और पढ़े –उच्च रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर)का सरल घरेलु आयुर्वेदिक उपचार )

8. अपस्मार में शंखपुष्पी के फायदे : शंखपुष्पी का ताज़ा रस 4-4 चम्मच थोड़ा सा शहद मिला कर दिन में तीन-चार बार पिलाने से अपस्मार (मिरगी) के रोगी को लाभ होता है । शंखपुष्पी का रस न मिले तो शंखपुष्पी सिरप या शंखपुष्पी वटी का सेवन करना चाहिए ।

9. शुक्रमेह में : आधा चम्मच काली मिर्च और शंखपुष्पी का पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का 1 चम्मच चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ कुछ सप्ताह सेवन करने से शुक्रमेह का रोग खत्म हो जाता है।

10. स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए : 200 ग्राम शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) के चूर्ण में इतनी ही मात्रा में मिश्री और 30 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना 1 कप दूध के साथ सेवन करते रहने से स्मरण शक्ति (दिमागी ताकत) बढ़ जाती है।

11. उच्च रक्तचाप : शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का काढ़ा 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में उच्चरक्तचाप में लाभ मिलता है।

12. हिस्टीरिया : 100 ग्राम शंखपुष्पी, 50 ग्राम वच और 50 ग्राम ब्राह्मी को मिलाकर पीस लें। इसे 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोज 3 बार कुछ हफ्ते तक लेने से हिस्टीरिया रोग में लाभ होता है।

13. कब्ज के लिए :

  • 10 से 20 मिलीलीटर शंखपुष्पी के रस को लेने से शौच साफ आती हैं।
  • रोजाना सुबह और शाम को 3 से 6 ग्राम शंखपुष्पी की जड़ का सेवन करने से कब्ज (पेट की गैस) दूर हो जाती है।

14. कमजोरी : 10 से 20 मिलीलीटर शंखपुष्पी का रस सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।

15. मिर्गी में : ताजा शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से कुछ महीनों में मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।

16. थायराइड ग्रंथि के अतिस्राव से उत्पन्न दुष्प्रभावों में : शंखपुष्पी  के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का चूर्ण बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से धड़कन बढ़ने, कंपन, घबराहट, अनिंद्रा (नींद ना आना) में लाभ होगा।

17. स्वरभंग : शंखपुष्पी  के पत्तों को चबाकर उसका रस चूसने से बैठा हुआ गला ठीक होकर आवाज साफ निकलती है।

18. बवासीर : 1 चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण रोजाना 3 बार पानी के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से बवासीर का रोग ठीक हो जाता है।

19. केशवर्द्धन हेतु : शंखपुष्पी को पकाकर तेल बनाकर रोजाना बालों मे लगाने से बाल बढ़ जाते हैं।

20. पागलपन : ताजा शंखपुष्पी के 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच की मात्रा में रोजाना सेवन करने से पागलपन का रोग बहुत कम हो जाता है।

21. बुखार में बड़बड़ाना : शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का चूर्ण और मिश्री को मिलाकर पीस लें। इसे 1-1 चम्मच की मात्रा में पानी से रोजाना 2-3 बार सेवन करने से तेज बुखार के कारण बिगड़ा मानसिक संतुलन ठीक हो जाता है।22. बिस्तर में पेशाब करने की आदत : शहद में शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर आधे कप दूध से सुबह-शाम रोजाना 6 से 8 सप्ताह तक बच्चों को पिलाने से बच्चों की बिस्तर पर पेशाब करने की आदत छूट जाती है।

शंखपुष्पी के नुकसान : Shankhpushpi Side Effects in Hindi

  • इस जड़ी बूटी को चिकित्सक की देखरेख में लिया जाना चाहिए।
  • यह रक्तचाप को कम करता है इसलिये कम बीपी वाले लोगों को इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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