पीपल पूजन का महत्व और उसके लाभ | Peepal Puja Ka Mahatva

Last Updated on July 22, 2019 by admin

पीपल का पूजन क्यों किया जाता है ?

तैत्तिरिय संहिता में प्रकृति के पावन वृक्षों में पीपल की गणना है और ब्रह्मवैवर्त में पीपल की पवित्रता के संदर्भ में काफी उल्लेख है
पद्मपुराण के अनुसार पीपल का बृक्ष भगवान विष्णु का रुप है , इसलिए इसे धार्मिक क्षेत्र में श्रेष्ठ देव वृक्ष की पदवी मिली और इसका विधिवत पूजन आरंभ हुआ ! अनेक अवसरो पर पीपल की पूजा का विधान है ….
( और पढ़ेपीपल का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व)

मूले विष्णुः स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च !
नारायणस्तु शाखासु पत्रेषु भगवान् हरिः !!
फलेsच्युतो न संदेहः सर्वदेवै समन्वितः !!
स एव विष्णु र्द्रुम एव मूर्तो महात्मभिः सेवितपुण्यमूलः !
यस्याश्रयः पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढयः !!

-स्कन्ध पुराण नागर 247/ 41-42-44

पीपल की जड़ मे विष्णु , तने में केशव , शाखाओं में नारायण , पत्तों में भगवान हरि और फल में सब देवताओं से युक्त अच्युत सदा निवास करते है ! यह मूर्तिमान श्री विष्णु स्वरुप है !
( और पढ़ेपीपल के 41 चमत्कारी औषधीय प्रयोग )

गीता में श्रीकृष्ण जी कहते है .. अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां गीता 10 / 26
अर्थात् मै सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं !

पीपल में पितरों का वास माना गया है ! पीपल मे जल चढाने का भी महत्व है ! पीपल के तने पर सूत लपेटने की भी परंपरा है , दीपक जलाने की भी परंपरा है ! शनि की साढेसाती दशा में पीपल का पूजन और परिक्रमा भी की जाती है !

भगवान् कृष्ण जी के अनुसार शनि की छाया इस पर रहती है ! इसकी छाया , यज्ञ , हवन , पूजापाठ , पुराण कथा आदि के लिये श्रेष्ठ मानी गई है ! पीपल के पत्तों से शुभ कार्य में बंदनवार बनाये जाते है !
वातावरण के दूषित तत्वों , कीटाणुओं , को विनष्ट करने के कारण पीपल को देवतुल्य माना गया है ! इसको मंदिर परिसर में अवश्य लगाते है !

सूर्योदय से पहले इसकी पूजा निषेध माना गया है ! इसको काटना या नष्ट करना ब्रह्म हत्या के तुल्य पाप माना गया है !

वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल दिन- रात आक्सीजन देने वाला एक मात्र अद्भुत बृक्ष है ! इसके निकट रहने से प्राण शक्ति बढ़ती है !

पीपल पूजन के लाभ और पूजन में सावधानी : Peepal Puja Ke Laabh

✦शनिवार के दिन पीपल की पूजा करना लाभकारी माना जाता है लेकिन रविवार के दिन इस पेड़ की पूजा करने से घर में दरिद्रता आती है।
✦इसके अलावा रात्रि 8 बजे के बाद पीपल में दीया नहीं जलाना चाहिए।
✦माना जाता है 8 बजे के बाद पीपल में देवी लक्ष्मी की बहन दरिद्रता का वास हो जाता है।
✦इसके अलावा पीपल का पेड़ घर से दूर होना चाहिए, इसकी छाया कभी घर पर नहीं पड़नी चाहिए।
✦पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर पूजा करने से और पूजा के बाद परिक्रमा करने करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती और व्यक्ति की आयु लंबी होती है।
✦शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से सदैव माँ लक्ष्मी और शनिदेव की कृपा बनी रहती है।
✦शनिवार के दिन अमावास्या पड़ने पर पीपल में सरसों के तेल का दीया जलाकर उसमे काले तिल डालने चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष से मिलने वाले कष्ट दूर होते है।
✦पूर्णिमा और अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन लाभकारी माना जाता है।
✦पूर्णिमा के दिन फल और पुष्प आदि अर्पित करने से लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
✦शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ की जड़ के पास सरसों तेल का दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है और रुके हुए काम पुरे हो जाते है।
✦माना जाता है पीपल के पेड़ के नीचे मंत्र, जप आदि करने से लाभ मिलता है।
✦सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की 108 परिक्रमा और व्रत करना लाभकारी होता है।
✦शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करने से उनकी कृपा बनी रहती है।
( और पढ़ेपीपल के चमत्कारी गुण )

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