नाशपाती खाने के अनुठे लाभ | Nashpati Khane Ke Labh

Last Updated on December 5, 2021 by admin

नाशपाती हलका सुराहीनुमा फल होता है, जो कि भारत में बड़े चाव के साथ खाया जाता है। इस फल को खाने वाले केवल फल समझकर उपयोग में लेते हैं, लेकिन इसमें अनेकों गुण विद्यमान हैं।

नाशपाती के गुण (Nashpati ke Gun)

  • आयुर्वेद मतानुसार इसका रस हल्का तथा ऊपर का छिलका गुरु होता है। अत: छिलके सहित खाने से यह गुरु, स्निग्ध, रस में मधुर-अम्ल-कषाय, मधुर विपाक शीत वीर्य तथा त्रिदोष-शामक गुण विद्यमान रहते हैं।
  • मीठी नाशपाती गुरु, ग्राही एवं उष्ण होती है।
  • यह फुफ्फुस, हृदय और मस्तिष्क की निर्बलता में लाभप्रद है। तथा उन्माद-हर, तृषानाशक, मूत्रल, मूत्र की जलन और प्रदाह को शांत करती है।
  • आमाशय के लिए शक्तिदायक है।
  • अतिसार तथा आमाशय दौर्बल्य में इसका सत्तु बनाकर प्रयोग करना चाहिये।

रासायनिक संघटन :

पकी हुई नाशपाती के प्रति 28 ग्राम में –

  • प्रोटीन 0.1 ग्राम,
  • कार्बोहाइड्रेट 2.7 ग्राम,
  • कैल्शियम 2 मिली ग्राम,
  • लौह 0.1 मिली ग्राम होता है।
  • इसमें 84 भाग जल होता है तथा विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ प्रचुर मात्रा में होता है। विटामिन ‘बी’ साधारण मात्रा में ही उपलब्ध होता है।

नाशपाती के स्वास्थ्य लाभ (Nashpati ke Labh)

नाशपाती विभिन्न रोगों में उपयोगी है। यह प्रवाहिका, रक्तातिसार, सिर दर्द तथा पित्त के विकारों में उपयोगी पाई गई है। इसके अलावा नाशपाती के पेड़ का गोंद सूजन (शोथ) में उपयोगी पाया गया है। नाशपाती के बीज भी औषधि के रूप में प्रयुक्त किये जाते हैं। इससे धातु-वृद्धि होती है। इसके बीज उदर-कृमि नाशक तथा फुफ्फुस शूल का नाश करने में सहायक है।

नाशपाती का प्रयोग वृद्ध व्यक्तियों के लिए लाभप्रद नहीं है, क्योंकि अगर बूढ़ा आदमी नाशपाती का प्रयोग करता है तो यह आफरा पैदा करती है। इसमें भारीपन का गुण होता है। इसलिए वृद्ध व्यक्तियों को इसका प्रयोग कम ही कराना चाहिये।

1. शुक्रवृद्धि में – नाशपाती के बीजों एवं अश्वगंधा की जड़ को समान भाग में लेकर चूर्ण बना लें। ऐसा चूर्ण ५ ग्राम लेकर दूध + मिश्री के साथ दिन में दो बार प्रयोग करने से शुक्र-वृद्धि होती है। चेहरे पर कांति आती है। धातुएँ पोषित होती हैं तथा शरीर शक्तिशाली बनता है।

2. सूजन (शोथ) में – शरीर के किसी भाग में सूजन आने पर इसके वृक्ष के गोंद का प्रयोग श्रेयस्कर रहता है। इसके गोंद को गेहूँ के आटे में सेंक लें, फिर चीनी मिलाकर प्रयोग में लायें। नियमित कई दिनों तक प्रयोग में लाने से सूजन रोग दूर होता है।

3. जीर्ण मलावरोध में – आज हर रोग का कारण मलावरोध है। जिन रोगियों के जीर्ण मलावरोध होता है, ऐसे रोगियों को इसके फल खाने से कब्जी की पुरानी बीमारी ठीक होती है। नाशपाती के नियमित सेवन से, इसमें विद्यमान गुण गुरुता के कारण आँतों में इकट्ठा हुआ विजातीय द्रव्य निकल जाता है तथा आँतें साफ हो जाती हैं।

4. अतिसार में – नाशपाती में गैलिक एसिड तथा टार्टरिक एसिड की मात्रा अधिक | होती है, इसलिए यह सेब से भी ज्यादा गुणकारी माना गया है। अतः रक्तातिसार, प्रवाहिका तथा अतिसार में इसका सेवन बिना विचार किया जा सकता है। इसके नियमित सेवन करने से ये सभी रोग ठीक होते हैं। किसी भी प्रकार के ज्वर की अवस्था में इसका सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकि इस समय जठराग्नि मंद होती है और यह भारी होती है, अतः नुकसानदेह रहती है। ज्वर उतर जाने की अवस्था में इसका प्रयोग श्रेयस्कर देखा गया है।

5. मंदाग्नि एवं अरुचि में – जिनको मंदाग्नि एवं अरुचि हो, ऐसे रोगियों को नाशपाती के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें काली मिर्च एवं सेंधा नमक मिलाकर खिलाने से दोनों रोग दूर होते देखे गये हैं। ऐसा प्रयोग नियमित करने पर भूख अच्छी लगती है।

6. रक्त वमन में – उल्टी आने पर नाशपाती एवं जंगली झाड़ी के बेरों का शर्बत बना हुआ लाभ करता है। वमन के साथ-साथ अगर रक्त आता है तो ऐसे में भी इसका प्रयोग लाभप्रद रहता है। पित्त सम्बन्धी विकारों एवं सिर दर्द में इसके शर्बत का प्रयोग करने से लाभ होता है।

नाशपाती खाने के नुकसान /सावधानियाँ :

  • ज्वर की अवस्था, प्लीहा रोग, कफ प्रवृत्ति वालों के लिए नाशपाती निषेध मानी गई है। अत: इन रोगों में नाशपाती का प्रयोग नहीं करना चाहिये।
  • इसका कच्चा सेवन अगर वृक्क सम्बन्धी रोगों में किया जाये, तो नुकसानदेह है। अत: गुर्दे के रोगियों को यथासंभव नाशपाती का प्रयोग नहीं करना चाहिये।

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