मसूर दाल के फायदे ,गुण उपयोग और नुकसान | Masoor Dal ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on March 30, 2023 by admin

मसूर दाल क्या है / परिचय एवं स्वरूप : masoor dal in hindi

मसूर एक द्विदलीय धान्यवाली दलहन की फसल है। यह रबी की फसल के साथ बोई जाती है। इसे पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है। इसका एक पेड़ ही झुंड का रूप धारण कर लेता है। मसूर का पौधा मध्यम आकार का होता है, जिसकी लंबाई 25 से 70 सेमी. तक होता है। पत्ते छोटे-छोटे, बहुत सारे; फूल सफेद, बैंगनी तथा गुलाबी रंग के बहुतायत में लगते हैं, तब इसके पौधे बड़े आकर्षक लगते हैं। फलियाँ छोटी-छोटी हरी, पकने पर धूसर रंग की हो जाती हैं। इसकी दो जातियाँ उगाई जाती हैं-सफेद और लाल।

इसे मलका मसूर तथा ‘केसरी दाल’ भी कहा जाता है। साबुत मसूर के दाने धूसर-काले, परंतु अंदर से दाल का रंग एकदम लाल या केसरिया होता है। इसके गुण मूंग की दाल के समान ही हैं। मसूर उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है; भारत के अलावा इसकी खेती पाकिस्तान, बँगलादेश, श्रीलंका, म्याँमार के साथ-साथ उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायुवाले क्षेत्रों में मुख्यतया होती है।

मसूर दाल का विविध भाषाओं में नाम :

  • अंग्रेजी – Lentils,
  • कन्नड़ – चर्णग,
  • तमिल – मिस्सूर पर,
  • तेलुगू – मिसूर पप्पु,
  • पंजाबी – मसूर,
  • फारसी – नशिक;
  • बँगला – मसूरी, मसूर दाल,
  • मराठी – मसूरी,
  • संस्कृत – मंगल्यक, मंगल्या, मसूर,
  • हिंदी – मसूरी,
  • व्यापारिक नाम – मसूर, मलका, केसरी दाल।

मसूर दाल के औषधीय गुण : masoor dal ke gun

  • आयुर्वेदिक चिकित्सकों की दृष्टि में मसूर का रस मधुर, शीतवीर्य, विपाक में मधुर, दोषघ्न, कफ-पित्तनाशक है।
  • यह लघुशीत, मधुर, कषाय, रूक्ष, विपाक में मधुर तथा संग्राही है।
  • इसके अलावा निघंटुकारों ने इसे रूखी, विशोषक, मधुर तथा शूल, गुल्म एवं संग्रहणी रोग को उत्पन्न करनेवाली बताया है।
  • यह वात रोगों को बढ़ानेवाली, रक्तपित्त, मूत्रकृच्छ्र आदि रोगों को हरनेवाली है।
  • मसूर का लेप त्वचा विकारों को नष्ट करनेवाला एवं कांतिवर्धक है।
  • यह मल को रोकनेवाली, पचने में हलकी, बलकर एवं ज्वर को मिटानेवाली भी है।
  • मसूर के प्रति 100 ग्राम खाद्य भाग में 1477 कैलोरी (ऊर्जा), कार्बोहाइड्रेट्स 63 ग्राम, शर्करा 2, खाद्य रेशे 10.7, वसा 1, प्रोटीन 25 ग्राम; विटामिनों में थायमिन 0.87, राइबोफ्लेविन 0.211, नायसिन 2.605, विटामिन बी6 0.54; विटामिन सी 4.5 मिग्रा.; खनिजों में लौह तत्त्व 6.5, कैल्सियम 56, मैग्नीशियम 47, फॉस्फोरस 281, पोटैशियम 677, सोडियम 6, जिंक 3.3 मिग्रा. तथा जल 8.3 ग्राम तक होता है।
  • इसकी प्रकृति गरम, शुष्क, रक्तवर्धक एवं रक्त में गाढ़ापन लानेवाली होती है।
  • दस्त, बहुमूत्र, प्रदर, कब्ज तथा पाचन की गड़बड़ी में मसूर की दाल का सेवन लाभकारी बताया गया है।

मसूर दाल के सामान्य उपयोग : masoor dal ke upyog

  1. भारतीय घरों में इसकी दाल बनाई जाती है। मसूर दाल खाने में स्वादिष्ट होती है, उतनी ही यह पौष्टिक भी है। गरीब-अमीर समान रूप इसकी दाल अपने भोजन में शामिल करते हैं।
  2. एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं की अपेक्षा पारसी और मुसलमान मसूर दाल का सेवन अधिक करते हैं।
  3. मसूर के सेवन से वायु होने का डर रहता है, अतः इसमें तेल या घी का तड़का जरूर लगाना चाहिए।
  4. जिन्हें दस्त की शिकायत रहा करती है, मसूर दाल उनके लिए उपयोगी है।
  5. इसमें लौह की मात्रा अधिक होने के कारण पेचिशवालों के लिए लाभप्रद है। चावल के साथ इसकी पौष्टिक खिचड़ी बनाई जाती है। प्रोटीन प्राप्त करने के लिए गरीब लोगों को इसका पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  6. लौकी-तोरई की सब्जी में मसूर दाल का उपयोग होता है।

मसूर दाल के फायदे और उपयोग : masoor dal ke labh hindi me

आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इसे मूंग दाल की तरह सुपाच्य तथा अनेक रोगों में उपयोगी पाया है। इसमें गंधक की पर्याप्त मात्रा है; एल्युमिनाइड्स की भी पर्याप्त मात्रा है, बल्कि मटर व सोयाबीन से अधिक।

1. उदर विकार : पाचन-संस्थान की गड़बडियों में मूंग-मसूर की दाल बड़ी फायदेमंद है। अतिसार, पेचिश, दस्त आदि में बड़ी गुणकारी है। पेट का हाजमा बिगड़ने, बदहजमी, भोजन से अरुचि हो जाए तो मसूर की दाल की खिचड़ी देसी घी का तड़का लगाकर दही के साथ सेवन करें। भारी खाना, रोटी आदि न पचता हो तो इसकी खिचडी बडी सुपाच्य है। बीमार को दाल का पानी फायदेमंद है।

2. फोड़ा-फुंसी : हाथ-पैर या शरीर के किसी अंग पर फोड़ा हो, दाह-जलन के साथ दर्द करता हो तो मसूर के आटे की पुल्टिस बाँधे; इससे फोड़ा शीघ्र पककर फूट जाता है और मवाद-पीप निकलकर घाव जल्दी भरता है। ( और पढ़े –फोड़े फुंसी के अचूक घरेलु उपचार )

3. दाग-धब्बे, कील-मुँहासे : मसूर की दाल आधा कप उतने पानी में भिगोएँ, जितना वह सोख सके। उसे पीसकर दूध में मिलाकर, पेस्ट जैसा बनाकर प्रातः-सायं चेहरे पर लगाएँ, परंतु रात को सोने से पूर्व जायफल और कालीमिर्च दोनों को कच्चे दूध में पीसकर चेहरे पर लगाएँ, प्रातः स्वच्छ जल से धोएँ तो कुछ दिनों के प्रयोग से चेहरे के दाग-धब्बे तथा कील-मुँहासों के निशान मिटकर चेहरा दमक उठेगा। ( और पढ़े –कील मुहासों के 19 रामबाण घरेलु उपचार )

4. दंत-विकार : क्या बालक, क्या वृद्ध, दाँतों में दर्द, मसूड़ा फूलना आदि शिकायतें आम हैं, इलाज के बाद भी परेशानी हो जाती है तो मटठी भर मसर दाल को अच्छी तरह से जलाकर राख बना लें। इसमें सेंधा नमक बारीक पीसकर मिलाएँ। सुबह-शाम हलके हाथ से दाँतों पर मंजन की तरह मालिश करें। यदि आप ब्रुश की जगह इस प्रयोग को नित्य करेंगे तो दाँतों की किसी भी प्रकार की बीमारी से बचे रहेंगे। ( और पढ़े –दाँत दर्द की छुट्टी कर देंगे यह 51 घरेलू उपचार)

5. खून की कमी : दालों में प्रोटीन सर्वाधिक मात्रा में होती है। जिन भाई-बहनों को रक्त की कमी है या रक्ताल्पता के शिकार हैं, वे अगर हर रोज मसूर की दाल का सेवन करने लगे तो शरीर में खून की कमी नहीं रहेगी। इतना ही नहीं, इसके सेवन से शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है। ( और पढ़े – खून की कमी को दुर करने के घरेलु उपाय)

6. नेत्र-दृष्टि : मसूर की दाल स्वादिष्ट तो होती ही है, इसमें कई प्रकार के पौष्टिक तत्त्व तथा प्रोटीन्स भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। अगर मसूर की दाल में रोजाना देसी घी तथा जीरे का तड़का या दाल को घी में तलकर सेवन करें तो आँखों की रोशनी बराबर बनी रहती है, उम्र चढ़ने के साथ घटती नहीं और न ही मोतियाबिंद की शिकायत होती। ( और पढ़े – आँखों की आयुर्वेदिक देखभाल)

7. गले के विकार : अकसर ठंडा या गरम अथवा ज्यादा चटपटा खाते समय गले का बिल्कुल खयाल नहीं रखते; इससे गले में खिचखिच, दर्द या जलन सी महसूस होती है। ऐसी स्थिति में मसूर के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गला ठीक हो जाता है। गले के अन्य विकार तथा गले में चिपटा बलगम भी सहजता से निकल जाता है। ( और पढ़े –गले की खराश ,दर्द व सुजन के घरेलू नुस्खे)

8. मुँह की दुर्गंध : कुछ लोगों को ब्रुश करने के बाद भी मुँह से आती दुर्गंध के लिए शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। इसके लिए मूंग के पत्तों या छिलकों में इलायची तथा लौंग डालकर बनाए काढ़े से भोजनोपरांत सुबह-शाम गरारे करने चाहिए। दो-चार दिन के उपयोग से ही मुँह से दुर्गंध आना बंद हो जाएगा। ( और पढ़े –मुंह की बदबू का घरेलू इलाज )

9. वजन घटाने : चूँकि मसूर में वसा नाममात्र को है और रेशे ज्यादा मात्रा में हैं। फाइबर यानी रेशा-समृद्ध भोजन करने से भूख जल्दी मिटती है और लंबे समय तक लगती भी नहीं। इस नाते मसूर की दाल वजन घटाने के लिए उत्तम भोजन है। यह भूख को रोकती है, जिससे व्यक्ति ज्यादा-से-ज्यादा खाने से बच जाता है।

10. सौंदर्य-वृद्धि : मसूर की दाल दोषों को बाहर निकालकर त्वचा को शुद्ध करने में मददगार है। मसूर की दाल का कच्चे दूध में बनाया पेस्ट त्वचा को कोमल, स्वस्थ तथा चमकदार बनाता है; इससे त्वचा मुलायम तथा चिकनी हो जाती है, यह त्वचा का तैलीयपन भी दूर कर त्वचा पर के दाग-धब्बों को मिटा देता है। दो सप्ताह तक नियमित इस पेस्ट का लेपन करें।

11. हृदय रोग-मधुमेह : मसूर की दाल हमारे खून में कोलेस्टरॉल को कम करने में मददगार है, क्योंकि इसमें घुलनशील रेशे पर्याप्त मात्रा में होते हैं। कोलेस्टरॉल का स्तर कम रहने से हृदय की धमनियाँ साफ रहती हैं, जिससे हृदयाघात का खतरा नहीं रहता है। इन्हीं गुणों के कारण यह मधुमेह के रोगियों के लिए आदर्श भोजन है।

12. सोज-सूजन : मसूर दाल में रेशे, फोलेट, विटामिन बी और प्रोटीन्स पर्याप्त मात्रा में हैं, जो सूजन को कम करने में बड़े मददगार हैं, अतः सोजवाले स्थान को मसूर के गरम पानी से सेंककर बाद में उस दाल को पीसकर बनाए पेस्ट का लेप कर पट्टी बाँध दें, इससे सूजन तो उतरेगी ही, दर्द में भी आराम मिलेगा।

13. घाव भरने में : अगर शरीर में बना घाव जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो मसूर की भस्म को भैंस के दूध में सानकर मलहम जैसा बना लें, फिर इसे घाव पर लगाएँ, इससे घाव जल्दी भरता है।

14. हड्डियों की मजबूती : मलका मसूर दाल में कैल्सियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम जैसे खनिज की अधिकता के कारण हड्डी तथा दाँतों का विकास सुचारू रूप से होता है। हड्डियाँ मजबूत बनती हैं।

15. रोग प्रतिकार शक्ती : अलावा मसूर दाल शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने, रक्त-कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने में मदद करती है। आधुनिक खोजों में वैज्ञानिकों के अनुसार यह आंत्र, स्तन, बृहदांत और फेफड़े के कैंसर रोकने में मददगार है।

विभिन्न रोगों के उपचार में मसूर की दाल के लाभ :

1. पेट के रोग: मसूर की दाल को खाने से पेट की पाचनक्रिया ठीक होकर पेट के सारे रोग दूर हो जाते हैं।

2. फोड़े-फुंसियां: मसूर की दाल को पीसकर उसकी पुल्टिस (पोटली) को फोड़ों पर बांधने से लाभ मिलता है।

3. खूनी बवासीर: सुबह भोजन के साथ मसूर की दाल खाकर और ऊपर से एक गिलास खट्टी छाछ पीना लाभकारी होता है।

4. मंजन: मसूर के दाल की राख को मंजन के रूप में प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

5. मुंहासे व मुंहासों के दाग-धब्बे: मसूर की दाल को पानी में तब तक भिगोएं जब तक कि वह उस पानी को सोख न लें। इसके बाद उसे पीस लें और दूध में मिलाकर सुबह-शाम चेहरे पर लगाने से लाभ मिलता है।

6. दांतों को साफ और चमकदार बनाना: मसूर की दाल को आग पर जला लें। फिर इसकी राख को बारीक पीसकर मंजन बना लें तथा रोजाना सुबह-शाम मंजन करें। इससे दांत साफ हो जाते हैं।

7. जीभ की जलन और सूजन: मसूर को जला लें तथा इसके बराबर सफेद कत्था लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को जीभ पर लगाने से जीभ की जलन और सूजन समाप्त हो जाती है।

8. कब्ज: मसूर की दाल खाने से कब्ज (पेट की गैस) खत्म हो जाती है।

9. मुंह के छाले: मसूर की राख और कत्था बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे मुंह के छाले पर लगाने से मुंह के छाले व घाव दूर हो जाते हैं।

10. दस्त: मसूर की दाल के साथ चावल खाने से दस्त और पेचिश का आना बंद हो जाता है।

11. आंवरक्त (पेचिश): मसूर की दाल और बेलपत्थर को पानी में उबालकर खाने से पेचिश का रोगी ठीक हो जाता है।

12. घाव: पुराने घावों में मसूर को पीसकर लगाने से फायदा होता है।

13. प्रदर रोग:

  • मसूर की दाल प्रदर रोगी को खिलाने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
  • मसूर के आटे का चूरमा, मलीदा बनाकर रोगी को खिलाने से प्रदर रोग में आराम मिलता है।

14. पेट के कीड़े: मसूर की दाल को खाने से भी पेट के कीड़ों से छुटकारा मिल जाता है।

15. स्तनों में दूध का अधिक मात्रा में होना: मसूर, काहू के बीज और जीरा को सिरके के साथ पीसकर स्त्री के स्तनों पर लेप करने से दूध कम हो जाता है। ध्यान रहे कि इसका सेवन उन्हीं माताओं को करना चाहिए जिनके बच्चे स्तनों के पूरे दूध को पी नहीं पाते हैं। नहीं तो यह बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री (प्रसूता स्त्री) के लिए हानिकारक हो सकता है।

16. चेहरे की झांई:

  • 3-3 चम्मच सोयाबीन और मसूर की दाल को रात को पानी में भिगो दें। सुबह दोनों को एक साथ पीसकर कच्चे दूध में मिलाकर चेहरे पर लगायें। इससे चेहरा चमक उठेगा।
  • मसूर की दाल को रात को भिगोकर रख लें और सुबह बारीक पीसकर इसमें एक छोटा चम्मच दही मिलाकर अच्छी तरह से चेहरे पर लगा लें और सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें।
  • धुली हुई मसूर की दाल त्वचा के रोम-रोम में बसी हुई गन्दगी को साफ करने में बहुत ही लाभकारी होती है। थोड़ी सी मसूर की दाल, गुलाब की सूखी पंखुड़ियां और चंदन का चुटकी भर चूरा रात को दूध में भिगोकर रख दें। सुबह इसके फूल जाने पर पीसकर चेहरे पर हल्के-हल्के हाथ से लगा लें और बाद में उसे मसल-मसल कर छुड़ा लें। इसके बाद 1 घंटे तक हल्की धूप में बैठे रहें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। इससे गर्मी में त्वचा में ठण्डक पहुंचती है।
  • मसूर की दाल को घी में भूनकर और पीसकर रख लें। फिर 1 चम्मच दाल सुबह-शाम 2 चम्मच दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा थोड़े ही दिनों में सुन्दर और कोमल हो जायेगा।

17. चेहरे पर हल्के-हल्के से कालेपन के लिए: मसूर की दाल को बारीक पीसकर और दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की छाया (चेहरे पर कही-कही कालापन) दूर होती है।

18. शारीरिक सौन्दर्यता के लिए: मसूर की दाल को नींबू के रस में भिगो दें। फिर इस दाल को पीसकर रात को सोते समय चेहरे पर लेप करके सो जायें। सुबह उठकर चेहरे को धोने से चेहरे की खूबसूरती बढ़ जाती है।

मसूर दाल के नुकसान : masoor dal khane ke nuksan

इसके अधिक सेवन से पेट फूलना जैसी समस्या हो जाया करती है।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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