एक्यूप्रेशर द्वारा जोड़ों के दर्द का सफल उपचार | Jodon ke Dard ka Ilaj

Last Updated on November 19, 2019 by admin

एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा जोड़ों के दर्द का उपचार :Jodon ke dard ka ilaj in hindi

जोड़ों से सम्बन्धित अनेक रोगों का उपचार एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा आसानी से किया जा सकता है। इन रोगों का उपचार करने के लिए सबसे पहले यह जानने की आवश्यकता है कि एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा शरीर के किन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर दबाव देना चाहिए जिससे रोग जल्दी ठीक हो जाए।
कभी-कभी उपचार करने के दौरान रोग को ठीक होने में कुछ समय लग जाता है । एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा 3-4 बार प्रेशर देने से रोगी को पता लगने लगता है कि वह ठीक हो रहा है या नहीं। इस उपचार के द्वारा दर्द ठीक हो जाता है तथा सन्धिशोथ अंगों से सूजन घट जाती है।

Jodon va ghutno ke dard ka ilaj in hindi
(जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र -1)
चित्र में दिये गये अंगूठे के बीच के भाग के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर अंगूठे की सहायता से प्रेशर देने से जोड़ों के रोग बहुत जल्दी ठीक होने लगते हैं तथा दर्द भी कम हो जाता है।

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(जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-2)
पैरों तथा हाथों के स्नायु-संस्थानों पर प्रेशर देने से (जैसा कि चित्र में दिया गया है) जोड़ों के दर्द में बहुत अधिक राहत मिलती है।

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(जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-3)
आमाशय तथा अंतड़ियों से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु (जो हाथ की हथेलियों तथा पैरों के तलुवों पर होते हैं), पर प्रेशर देने से इस रोग में बहुत लाभ मिलता है क्योंकि जोड़ों के अधिकतर रोग तब होते हैं जब किसी व्यक्ति की पाचनक्रिया ठीक नहीं होती है। जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए इन बिन्दुओं पर रोगी की सहनशक्ति के अनुसार रोजाना कुछ सेकण्ड के लिए दिन में 2-3 बार प्रेशर देना चाहिए।

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(जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-4)
जोड़ों के रोगों को ठीक करने के लिए गुर्दे की शक्ति को बढ़ाना बहुत जरूरी है ताकि शरीर से अनावश्यक तत्व पाचनक्रिया से पचकर जल्दी से बाहर चले जाएं। गुर्दे की शक्ति को बढ़ाने के लिए गुर्दे से सम्बन्धित केन्द्र बिन्दु हाथ की हथेलियों तथा पैरों के तलुवों पर होते हैं जैसा कि चित्र में दिया गया है। इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से गुर्दे की शक्ति मजबूत हो जाती है जिससे पाचनक्रिया ठीक होने के साथ-साथ जोड़ों के रोग भी ठीक होने लगते हैं।
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(जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-5)
जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए नाभिचक्र तथा डायाफ्राम के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देना चाहिए। ये प्रतिबिम्ब बिन्दु पैरों तथा हाथों के ऊपर होते हैं (जैसा कि चित्र में दिया गया है)। इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से जोड़ों के दर्द को ठीक होने में काफी मदद मिलती है। इन बिन्दुओं पर प्रेशर हाथ के अंगूठे से देना चाहिए।

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(सन्धिशोथ के सभी रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-6)

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सन्धिशोथ के बहुत से रोगों को ठीक करने के लिए टखने के चारों ओर तथा पैर की छोटी अंगुली की तरफ हाथ के अंगूठे या अंगुलियों से प्रेशर देना चाहिए। इन बिन्दुओं पर प्रेशर देने के अलावा मालिश करने से रोग और भी जल्दी ठीक हो जाते हैं।

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(पीठ में जकड़न, घुटनों तथा पैरों में हडि्डयों के इर्द-गिर्द सूजन तथा दर्द को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-7)
चित्र के अनुसार रोगी के शरीर के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर हल्का-हल्का प्रेशर देने से घुटनों तथा पैरों में हडि्डयों के इर्द-गिर्द सूजन, दर्द तथा पीठ की जकड़न ठीक हो जाती है।

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(जोड़ों के रोग तथा गर्दन के दर्द और पीठ के दर्द को कम करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-8)
जोड़ों के रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु गर्दन से खोपड़ी तथा रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ होते हैं (जैसा कि चित्र में दिया गया है)। हाथ की अंगुलियों तथा अंगूठे के द्वारा इन बिन्दुओं पर प्रेशर देने से जोड़ों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। यह प्रेशर एक दिन में 3 बार देना चाहिए। ठीक इसी प्रकार टांगों पर भी हल्का-हल्का प्रेशर देना चाहिए।

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(घुटनों की जकड़न, दर्द, टांग सीधी न कर सकना आदि रोगों के उपचार के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु का चित्र-9)
मोटे व्यक्तियों को एक्यूप्रेशर चिकित्सा से इलाज करने के साथ-साथ अपना वजन भी घटाने का प्रयास करना चाहिए तथा मैदे की वस्तुएं, चावल, आलू तथा तली हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
स्त्रियों को जोड़ों के रोग होने पर गर्भाशय तथा डिम्ब-ग्रंथियों सम्बन्धी प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देना चाहिए क्योंकि यह रोग इन अंगों में कोई रोग हो जाने कारण होता है। इन बिन्दुओं पर प्रेशर देने से स्त्रियों के गर्भाशय तथा डिम्ब-ग्रंथियों की कार्य प्रणालियों में सुधार हो जाता है।

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