फल-सब्जी और मसालों से रोगों का इलाज | Fal Sabji aur Masalon se Rogo ka ilaj

Last Updated on September 7, 2021 by admin

फल-सब्जीयों से रोगों का इलाज : fruit-vegetables therapy

रामायण में राम-रावण युद्ध के प्रसंग में मेघनाथ के शक्तिबाण का आघात खाकर जब लक्ष्मण मूर्छित होकर धरती पर गिर पड़े तो लंकापुरी के ही महान आयुर्वेदाचार्य वैद्यराज सुषेण ने देखा कि उनकी उपलब्ध औषधियों के उपचार से लाभ नहीं मिल रहा तो तुरन्त ही उन्होंने वनस्पति चिकित्सा की बात सोची और हनुमान जी को संजीवनी बूंटी शीघ्र ही लाने हेतु निर्देशित किया और इस बँटी का रस निकालकर लक्ष्मण को पिलाया जिसके पीते ही लक्ष्मण को तुरन्त ही होश आ गया । हिमालय पर्वत की इस बँटी ने दवा का कार्य किया। इस प्रकार के उदाहरण रामायण ही नहीं वरन् अन्य अनेकों सद्ग्रन्थों में भी पढ़ने को मिलते हैं। यह वनस्पतियों का वह गुण है जिसके कारण सभी पद्धतियों में औषधियों के रूप में वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता है । इस धरती पर ऐसी कोई भी वनस्पति नहीं, जो किसी-न-किसी बीमारी के नष्ट करने के काम न आती हो ।

तिब्बत, चीन, अरब और अन्य देशों में, भारतीय चिकित्सा शास्त्र की धूम मचाने वाले आचार्य ‘वाग्भट्ट’ (700 वर्ष ई.पू.) द्वारा रचित ‘अष्टांग संग्रह’ में व्यवस्थित रूप से चिकित्सा में वनस्पतियों के गुणों का विवेचन प्रस्तुत किया जा चुका है। यों आधुनिक वनस्पति शास्त्र के अध्ययन में पौधों के औषधि गुणों की चर्चा भी की जाती है तथा केवल वनस्पतियों, फल-फूल तथा सब्जियों से चिकित्सा की परम्परा फलती-फूलती नजर नहीं आती ।हालाँकि इसी पद्धति की अनेकों औषधियाँ विभिन्न औषधि निर्माता कम्पनियाँ निर्मित कर बाजार में बेच रही हैं, परन्तु उन्हें बड़ी चतुराई के साथ आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथी) का अंग बना लिया गया है।

मनुष्य की शारीरिक संरचना शाकाहारी है। मानव का आमाशय तथा पाचन तन्त्र, माँस और अन्य जटिल पदार्थों के लिए नहीं है। यही कारण है कि आधुनिक खान-पान में यह व्यवस्था चरमरा जाती है। पेट तथा आँतों से सम्बन्धित असन्तुलन के कारण ही अन्य अनेक विकार रक्त में उत्पन्न होते हैं और बीमारी बढ़ जाती हैं और बीमारी बढ़ जाने पर फल, फूल, सब्जी या जड़ का रस निकाल कर अथवा समूचा ही खाने हेतु चिकित्सक द्वारा रोगी को निर्देशित किया जाता है । फलों के कुछ प्रयोग यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं|

फलों से रोगों का इलाज : falon se rogo ka ilaj

1-अनन्नास-इसके गूदे को बबासीर के मस्सों पर बाँधने अथवा लगाने से लाभ होता है। शरीर में सूजन उत्पन्न हो जाने की दशा में अनन्नास खाना लाभप्रद है। आँखों में सूजन होने पर अनन्नास का रस 2 बूंदें आँखों में डालने से तुरन्त लाभ होता है। मूत्र सम्बन्धी कष्ट व मूत्राशय की पथरी में अनन्नास का रस दिन में कई बार पीना लाभप्रद है।

2-सेब- जिगर, जोड़ों तथा शारीरिक कमजोरी की स्थिति में साबुत अथवा मुरब्बे के रूप में सेब खाना लाभप्रद है। इसके सेवन से दिमागी कमजोरी दूर होती है। याद रखें कि सेब का छिलका नहीं उतारना चाहिए।

3-सन्तरा- इसका रस और शुद्ध शहद सममात्रा में मिलाकर आँख में डालने से नेत्र सम्बन्धी समस्त रोगों में लाभ पहुँचता है। हृदय-रोगियों को सन्तरे की छिली हुई फाँकें आँवले के साथ खाना विशेष रूप से लाभप्रद सिद्ध होती है। ( और पढ़े –संतरा खाने के 59 लाजवाब फायदे )

4-अखरोट- इसका तेल दाद (Ringworm) को नष्ट कर देता है तथा सर्दी से उत्पन्न दर्द में भी लाभकारी है। लकवे के रोगियों की नाक में अखरोट के तेल की बूंदें दिन में कई बार डालना लाभकारी है। अखरोट के छिलके पीसकर दाँत पर मलने से पायरिया व मसूढ़ों के रोग दूर होते हैं। ( और पढ़े – अखरोट के 16 चमत्कारी फायदे )

5-अनार- इसके सेवन से पेट के विकार दूर होते हैं तथा रक्त शुद्ध होता है। यह मुँहासों को दूर करता है तथा जिगर के रोगों को मिटाता है। अनार का रस रातभर लोहे के बर्तन में रखकर प्रातःकाल के समय नियमित रूप से कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से पीलिया की शिकायत दूर हो जाती है। ( और पढ़े – अनार के 118 चमत्कारिक फायदे)

6-नीबू- शहद के साथ निहार मुँह (खाली पेट) सुबह के समय नीबू का रस पीने से पेट साफ रहता है तथा मेदवृद्धि (मोटापा) कम होता है। यह हृदय और पित्ताशय के रोगों में भी लाभकारी है। गुनगुने पानी में नीबू और शहद मिलाकर पीने से जुकाम में आराम होता है। नीबू के छिलके रात्रि में सोते समय मुँह पर रगड़ने से त्वचा साफ होती है और सौन्दर्य में वृद्धि होती है। ( और पढ़े – नींबू खाने के 6 बड़े लाभ)

7-आँवला- खाँसी, बवासीर, रक्तविकार, गुप्त रोगों, पेशाब की बीमारियों वमनं (उल्टी), खुश्की और मुख्य रूप से हृदय रोगों में आँवला शर्तिया लाभ प्रदान करता है। इसे सब्जी के रूप में कच्चा तथा मुरब्बा बनाकर खाने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ( और पढ़े – आँवला रस के इन 16 फायदों को जान आप भी रह जायेंगे हैरान )

8-अमरूद- इसका सेवन पेट, आँतों और रक्तशुद्धि में परम लाभकारी है। 2-3 अमरूद बीज सहित (बीजों को न चबाएँ) खाने से कब्ज तथा पेट की गन्दगी अगले दिन तक ठीक हो जाती है । भाँग, चरस और गाँजा का नशा उतारने हेतु साबुत अमरूद खाना लाभकारी है। अमरूद के पत्ते दाँतों, मुख और मसूढ़ों के रोगों को ठीक करते हैं। उन्हें चबाकर खाना चाहिए। पागलपन तथा अस्थिर दिमागी हालत में रात भर पानी में रखा अमरूद खाने से मात्र कुछ सप्ताह में ही लाभ हो जाता है। ( और पढ़े – अमरूद खाने के लाभ व उसके 47 औषधीय प्रयोग)

9-अँगूर- छोटे बच्चों के कब्ज को अँगूर का मात्र 1 चम्मच रस ही ठीक कर देता है। सुबह-शाम बच्चों को अँगूर का रस पिलाएँ, इस प्रयोग से उनके दाँत बगैर तकलीफ के निकल आते हैं। दिल घबराने पर अँगूर का रस सेवन कराने से तत्काल लाभ होता है। सूखे अँगूर अथवा मुनक्का को दूध में उबालकर पीने से कब्ज तो दूर होती ही है साथ ही पौरुषशक्ति (मर्दाना ताकत) में वृद्धि होती है। ( और पढ़े – अंगूर खाने के 65 लाजवाब फायदे )

10-आम- रक्त विकार, पेट के रोगों तथा नपुसकता में इसके सेवन से लाभ होता है । इसे कच्चा, अचार अथवा मुरब्बे के रूप में, दूध के साथ और काटकर खाने पर अलग-अलग लाभ होते हैं। ( और पढ़े – रसीले आम के 105 लाजवाब फायदे)

11-केला- पके केले दही में काटकर खाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं और पेट की गड़बड़ी भी दुरुस्त हो जाती है। कच्चे केले उबालकर खाने से कब्ज दूर होता है।

12-खजूर- यह रक्त की कमी को दूर करता है । कामशक्ति तथा पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए इसका दूध के साथ सेवन करना चाहिए।

13-जामुन- इसकी गुठली का गूदा 10 ग्राम और अफीम 1 ग्राम मिलाकर पानी के छींटे देकर सरसों जितने आकार की गोलियाँ बनाकर सुबह-शाम दूध के साथ एक गोली सेवन करने से डायबिटीज (मधुमेह) में लाभ होता है । जामुन का सिरका तिल्ली और जिगर (लीवर) तथा पेट की बीमरियों को भी ठीक करता है।

सब्जियों से रोगों का इलाज : sabjiyon se rogo ka ilaj

1. लहसुन पीसकर सिर पर लगाने से आधासीसी का दर्द खत्म हो जाता है। इसे पीसकर बिच्छू के डंक लगे स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है।

2. आधा किलो कच्ची गाजर का रस प्रतिदिन पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।

3. प्रातःकाल सात बादाम खाकर 250 मि.ली. गाजर का रस और आधा लीटर दूध पीने से दिमागी ताकत बढ़ती है।

4. गले के भीतर जख्म हों तो मूली का रस पानी के साथ सम मात्रा में मिलाकर उसके साथ सेंधा नमक चुटकी भर डालकर गरारे करने से 3 दिन में गला एकदम ठीक हो जाता है।

5. बथुआ को यदि सफेद दागों पर रगड़ा जाए और निरन्तर 3 माह तक बथुआ का साग, रोटी के साथ खाया जाए तो सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।

6. पोदीना को अल्कोहल में पीसकर चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे, झाइयाँ तथा आँखों के नीचे का काला घेरा दूर हो जाता है।

मसालों से रोगों का इलाज / उपचार : masalo se rogo ka ilaj

मसालों के गुणों का भी वनस्पति चिकित्सा में उपयोग किया जाता है –

  1. सेंधा नमक की डली मुख में रखकर चूसने से खाँसी का जोर कम होता है तथा बलगम निकल जाता है।
  2. सेंधा नमक बारीक पीसकर तथा कपड़छन करके आँख में साफ सलाई से लगाने से आँख की खुजली, जाला और धुन्ध में लाभ होता है।
  3. गले के समस्त रोगों में गरम पानी में सेंधा नमक डालकर गरारे करने से लाभ होता है।
  4. पानी में नमक मिलाकर स्नान करने से स्नायु की कमजोरी में लाभ होता है।
  5. सिरदर्द में पिसा नमक जीभ से चाटकर पानी पीने से दर्द बन्द हो जाता है।
  6. गला बैठने पर नमक, अदरक खाना लाभकारी है। इस प्रयोग से कब्ज और गैस में भी लाभ होता है।
  7. पिसी हुई हल्दी बहते हुए रक्त को रोक देती है । घाव साफ करके थोड़ी-सी हल्दी जख्म में भर दें ।
  8. भीतरी चोट तथा सूजन की हालत में दूध में चुटकी भर पिसी हुई हल्दी पीने से तुरन्त आराम आता है।
  9. अदरक की चाय पीने से सर्दी-जुकाम नहीं होता।
  10. गुनगुने पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। यह प्रयोग निरन्तर तीन दिन तक सुबह-शाम करना चाहिए।

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(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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