भुई आंवला के फायदे और नुकसान गुण व उपयोग | Bhumi Amla ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on March 31, 2023 by admin

भुई आंवला क्या है ? phyllanthus niruri in hindi

भुई आंवला का पौधा लगभग एक बालिश्त से एक फुट तक ऊंचा होता है और गीली ज़मीन में सर्वत्र पाया जाता है, विशेष कर वर्षाकाल में यह पौधा बहुतायत से पैदा होता है, शीतकाल में इसमें छोटे छोटे फल लगते हैं जो आंवले की शक्ल के होते हैं और इसके पत्ते भी आंवले के पत्तों जैसे होते हैं इसीलिए इसे भुई आंवला कहा जाता है। इस पौधे में फल भारी मात्रा में लगते हैं इसलिए इसे बहुफला भी कहते हैं। यह पौधा ग्रीष्मकाल में सूख जाता है। इसलिए इसके फल का संग्रह कार्तिक मास में कर लिया जाता है। वैसे यह वनस्पति जड़ी बूटी बेचने वाली दुकान पर मिलती है।

भुई आंवला के विभिन्न भाषाओं के नाम :

  • संस्कृत – भूम्यामलकिका
  • हिन्दी – भुई आंवला
  • मराठी – भुई आंवली
  • गुजराती – भोंय आंवली
  • बंगला – भुई आंवला
  • तैलुगु – नेलनेल्लि
  • तामिल – कीलकायनेल्लि
  • कन्नड़ – आर्सनेल्लि
  • उर्दू – भुई आंवला
  • लैटिन – फालेन्थस निरुरी (Phylanthus niruri.)

भुई आंवला के औषधीय गुण : bhumi amla ke aushadhi gun

इसका फल वातकारक, कड़वा, कसैला, मधुर, शीतल और प्यास, खांसी, पित्त, रक्तविकार, कफ, खुजली और घाव को ठीक करने वाला है।

सेवन की मात्रा : dosage & how to take in hindi

तरल रस रूप में 1-2 छोटे चम्मच और चूर्ण रूप में एक छोटा चम्मच उचित अनुपान के साथ।

भुई आंवला के फायदे  और उपयोग  : bhumi amla ke fayde in hindi

Bhumi Amla Benefits in Hindi

इसका उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से एण्टीबायोटिक दवा के रूप में किया जाता है। इस वनस्पति से कई आयुर्वेदिक औषधियां बनाई जाती हैं। बुखार के बाद इसका सेवन रोगी को कराने से, बुखार के कारण आई कमज़ोरी दूर होती है। कफ व पित्त शामक होने से इसका उपयोग कफ और पित्तजन्य रोगों की चिकित्सा में किया जाता है।

गत दिनों जब चिकनगुनिया फैला था तब इस वनस्पति के उपयोग से रोगियों को बहुत लाभ हुआ था। रक्त विकार, चर्मरोग, श्वास-खांसी, योनिदोष, प्रमेह, ज्वर, विषमज्वर आदि रोगों की चिकित्सा में इसका उपयोग लाभप्रद सिद्ध होता है। आवश्यकता के अनुसार इसके पांचों अंगों का उपयोग किया जाता है। घरेलू इलाज की कुछ विधियां प्रस्तुत हैं।

1. पेचिश में इसके फायदे : इसे पेचिश और डीसेण्ट्री (Dysentery) भी कहते हैं। बार-बार थोड़ा-थोड़ा मल विसर्जन (दस्त) होना इस रोग का मुख्य लक्षण है। इसके फल का चूर्ण का काढ़ा बना कर दिन में तीन बार लाभ न होने तक पीना चाहिए। ( और पढ़े – दस्त रोकने के 33 घरेलु उपाय )

2. पीलिया को दूर करने सहायक : इसे पीलिया और जाण्डिस (Jaundice) भी कहते हैं। इसके पौधे की जड़ को दूध के साथ पीस छान कर 1-1 चम्मच रोगी को सुबह शाम पिलाना चाहिए। दूसरी विधि-डण्ठल सहित इसके पत्तों को कूट पीस कर चूर्ण कर लें। एक चम्मच चूर्ण एक गिलास दूध में डाल कर उबालें फिर उतार कर ठण्डा कर लें। इसे बिना शक्कर या मीठा मिलाए सुबह खाली पेट रोगी को पिला दें। छः दिन तक सुबह सिर्फ एक बार पिला कर सातवें दिन रोगी के खून की जांच करा लें। यह प्रयोग निरापद रूप से गुणकारी है। रोगी को परहेज़ का सख्ती से पालन करते हुए तैल, खटाई, तले पदार्थ, मिर्च मसाले, मलाई दूध व दही व भारी चिकनाई युक्त पदार्थों का सेवन न करके गन्ने का रस, फलों का रस, छाछ व उबले हुए आहार का सेवन करना चाहिए। ( और पढ़े – पीलिया के 36 घरेलु उपचार )

3. शीत ज्वर में इसके फायदे : इसे फ्लू (इन्फ्लुएन्ज़ा) । भी कहते हैं। भुई आंवला के पंचांग का काढ़ा बना कर, 4-4 चम्मच काढ़ा दिन में तीन बार सुबह दोपहर शाम रोगी को पिलाना चाहिए। इससे पसीना आएगा और बुखार उतर जाएगा, मल शुद्धि होगी और नींद अच्छी आएगी। इस काढ़े के सेवन से बुखार आना भी बन्द होता है, यकृत व प्लीहा में वृद्धि हो तो कम होती है और जीर्ण ज्वर भी दूर होता है।

4. सुज़ाक (गोनोरिया) को दूर करने वाला : यह एक गुप्त रोग है जिसे मेडिकल भाषा में गोनोरिया (Gonorrhoea) कहते हैं। इस रोग से पीड़ित रोगी को भुई आंवला के चूर्ण का काढ़ा बना कर 4 चम्मच काढ़ा और 1 चम्मच गोघृत मिला कर सुबह | शाम पिलाने से मल शुद्धि होती है, मूत्राशय का शोधन होता है और मूत्र की जलन शान्त होती है।

5. सूजन में लाभदायक औषधि : शोथ को सूजन भी कहते हैं। भुई आंवला के पंचांग का फाण्ट बना कर सुबह शाम पीने से, मूत्र स्राव बढ़ता है और सूजन दूर हो जाती है।

फाण्ट बनाने की विधि – चूर्ण की मात्रा से चार गुनी मात्रा में जल लेकर शाम को इसमें चूर्ण डाल कर ढक कर रख दें। सुबह इसे उबालें। जब जल आधा शेष बचे | तब उतार कर ठण्डा कर लें फिर छान कर उपयोग में लें। यह फाण्ट है। ( और पढ़े – सूजन के 28 घरेलु उपाय )

6. आंखें लाल होने पर इसके लाभ : इसे मेडिकल भाषा में कन्जक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) कहते हैं । इस रोग में आंखें लाल हो जाती हैं। हलकी सी सूज जाती हैं और बहुत दर्द होता है। आंखें खोलने में कष्ट होता है। इसकी चिकित्सा के लिए भुई आंवला के पंचांग के रस को तैल में मिला कर लेप बना लें। इस लेप में रुई का फाहा भिगो कर आंखें बन्द कर, पलकों पर यह फाहा रख कर लेटे रहें। इस उपाय से यह व्याधि दूर हो जाती है।

7. लिवर की कमज़ोरी दूर करने में फायदेमंद : यकृत (लिवर) की कमज़ोरी दूर करने के लिए इसका चूर्ण एक चम्मच मात्रा में, सुबह खाली पेट, एक गिलास छाछ के साथ पीने से यकृत को बल मिलता है। ( और पढ़े – लिवर खराब होने के कारण,लक्षण और इलाज)

8. भूख कम लगना का इलाज : भूख कम लगती हो तो सुबह भुई आंवला 5-6 पत्तियां, खाली पेट, चबा चबा कर खाने से भूख खुल कर लगने लगती है।

9. घाव के उपचार में इसके फायदे : इस पौधे का दूधिया रस घाव पर लगाने से घाव भर जाता है।

10. मूत्र रोग में लाभकारी : इसके पंचांग का काढ़ा बना कर सुबह खाली पेट, एक कप काढ़ा, एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से पेशाब खुल कर होता है।

11. जलोदर के इलाज में इसके फायदे : इसके पंचांग का चूर्ण 10 ग्राम, 4 कप पानी में उबालें। जब पानी एक कप बचे तब उतार कर छान लें। इस काढ़े को सुबह खाली पेट पीने से पेशाब की मात्रा बढ़ती है और जलोदर रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

12. अत्यार्तव में इसके लाभ : मासिक ऋतुस्राव अधिक मात्रा में होना अत्यार्तव (Menorrhagia) कहलाता है। इस व्याधि में भुई आंवला के बीज या पंचांग को पीस कर ठण्डाई की तरह घोट कर पीस छान कर, रुग्णा महिला को सुबह शाम पिलाने से इस व्याधि को दूर करने में सहायता मिलती है।

भुई आंवला के नुकसान : bhumi amla ke nuksan in hindi

Bhumi Amla Side Effect in Hindi

  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को चिकित्सक की सलाह बगैर इसका सेवन नही करना चाहिये ।
  • मधुमेह के रोगी इसके उपयोग से पहले अपने डॉक्टर से बात करें ।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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