अमलतास के 15 दिव्य फायदे, गुण, उपयोग और दुष्प्रभाव : Amaltas Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on March 23, 2024 by admin

अमलतास क्या है ? : Amaltas in Hindi

अमलतास मध्यम आकार का लगभग 20 से 30 फीट ऊंचाई वाला चारों ओर फैला हुआ सुन्दर सुनहरे पुष्प वाला वृक्ष होता है। यह भारत वर्ष में सभी जगह पाया जाता है। मार्च अप्रेल यानी बसन्त ऋतु में पतझड़ के बाद नई पत्तियां और पुष्प लगभग साथ में ही निकलते हैं। पत्ते दो इंच लम्बे संयुक्त होकर एक फीट लम्बे होते हैं।

शाखाओं के आगे के भाग में पत्तों जितने लम्बे नीचे लटकते हुए दो ढाई इंच व्यास के पीले सुनहरे चमकीले पुष्प होते हैं। एक साथ फैले हुए अनेक संख्या में होने से वृक्ष दूर से ही सुन्दर दिखलाई देता है। इसकी फली 1-2 फुट लम्बी बेलनाकार कठोर आगे से नुकीली 1 इंच व्यास की होती है जो कच्ची अवस्था में हरी और पकने पर लाल-काली हो जाती है जो कि ठण्डे के मौसम में पकती है।

फली बाहर से चिकनी होती है तथा छोटे छोटे 25 से 100 तक की संख्या में चपटे गोल, पतले पीले रंग के बीजों द्वारा विभक्त रहती है। दो बीजों के बीच में काले रंग का हल्का चिपचिपा गोंद के समान लसदार फलमज्जा या गीर होती है। इस फल मज्जा का ही सर्वाधिक औषधीय प्रयोग होता है। यह मज्जा सूख कर काली हो जाती है।

अमलतास का विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • संस्कृत – आरग्वध (रोगों को नष्ट करने वाला), राजवृक्ष (सुन्दर वृक्ष), सुवर्णक (सुन्दर रंग का), दीर्घफल (लम्बे फल वाला), शम्पाक,आखेत, स्वर्णभूषण (सूनहरे फूलों वाला) ।
  • हिन्दी – अमलतास, सियरलाठी, धनबहेड़ा, वानर ककड़ी, किरमाला ।
  • मराठी – बाहवा ।
  • बंगला – सोनालु ।
  • गुजराती – गरमाला ।
  • मलयालम – कणि कोन्ता |
  • तामिल– कौण्ड्रे इराधविरुट्टम् ।
  • कन्नड़ – फलूस कक्कमेर |
  • तेलुगु – रेल चट्ट ।
  • फ़ारसी – खियार ।
  • अरबी – खियार शम्बर ।
  • इंगलिश – पर्जिंग केसिया (PURGING CASSIA) ।
  • लैटिन – केसिया | फिस्टूला (CASSIA FISTULA)

अमलतास के औषधीय गुण :

  • अमलतास गरिष्ठ, चिकना, मृदु, मधुर, शीत गुणों से युक्त होता है।
  • यह वात और पित्त का शमन करने वाला है
  • यह दस्तावर तथा पेट के पित्त और कफ को शोधन कर त्रिदोष हितकारी होता है।
  • यह पेट के अनेक रोगों को दूर करता है ।
  • यह खून साफ करने वाला व कृमिनाशक है।
  • अमलतास चर्मरोग, ज्वर, क्षयरोग, प्रमेह, हृदयरोग, वातरक्त, गंडमाला तथा व्रण का शोधन करने में लाभदायक है।

अमलतास का रासायनिक संगठन :

इसकी फल मज्जा में एन्थ्राक्विनोन, शर्करा, पिच्छल द्रव्य, ग्लूटीन, पैक्टीन, रंजक द्रव्य, केल्शियम ऑक्सलेट, क्षार व जल होता है। तने की छाल में 10 से 20% टेनिन होता है, जड़ की छाल में फ्लोवेफिन तथा पत्र व पुष्प में ग्लाइकोसाइड पाया जाता है।
अमलतास के उपयोगी भागअमलतास के पत्तों का रस, लेप, काढ़ा तथा फलमज्जा, तने की छाल व जड़ की छाल का काढ़ा अलग-अलग रोगों में विभिन्न तरह से प्रयोग में लाये जाता हैं।

अमलतास के उपयोग एवं प्रभाव : Amaltas ke Upyog in Hindi

  • अमलतास के फल का गूदा या मज्जा दस्तावर होन से जुलाब का असर दिखाकर पेट साफ़ करने के लिए उत्तम है।
  • यह स्निग्ध शीत होने से कफ-पित्त का शमन करता है ।
  • अमलतास के पत्ते बुखार में लाभदायक होते हैं।
  • पत्ते पेट के मल और कीड़ों को बाहर निकालने वाले होते हैं जिससे मल और कीड़ों से उत्पन्न होने वाले विष का दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता और खून की शुद्धि होती है अतः चर्मरोग में भी लाभदायक है।
  • यह पेट साफ कर भूख बढ़ाता है।
  • चूंकि इसका स्वभाव मृदु होता है अतः बच्चे, स्त्री, गर्भवती स्त्री व कमज़ोर लोगों को भी पेट साफ़ करने हेतु दिया जा सकता है।
  • अमलतास से आमाशय के पित्त का शमन होता है, मल व कफ की शुद्धि होती है।
  • यह आंतों में संग्रहित कच्चे व पक्के मल को भी निकालता है।
  • पित्तशामक होने से ज्वर की अवस्था में होने वाली मांसपेशियों की उष्णता को कम कर दर्द दूर करता है। ✦इसके पत्ते ज्वर को दूर करने, घाव भरने तथा गठिया के दर्द को दूर करने में उपयोगी होते हैं।
  • रक्त और पित्त की तीक्ष्णता को नियन्त्रित कर रक्तपित्त अर्थात् मुंह और नाक से अकस्मात बहने वाले रक्तस्राव को रोकता है।
  • युनानी चिकित्सा में भी इसका औषधीय उपयोग होता है।
  • अमलतास के सेवन से पेट साफ़ होता है पर बहुत ज्यादा दस्त नहीं होने से कमज़ोरी नहीं आती।
  • यह प्रमेह, चर्मरोग, ज्वर, हृदयरोग, भगन्दर, विद्रधि, वातरोग, हाथीपांव, आमवात, उपदंश व पेट के अनेक रोगों में लाभदायक है।
  • इसकी जड़ प्रायः पौष्टिक और ज्वरनाशक औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है।

अमलतास के फायदे : Amaltas ke Fayde

अमलतास के विभिन्न अंग विभिन्न प्रकार से भिन्न-भिन्न रोगों में प्रयोग में लाकर लाभ उठाया जा सकता है। यहां हम कुछ मुख्य रोगों में इसकी उपयोगिता सम्बन्धी विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं :

1. कोष्ठ शुद्धि (कब्ज) में अमलतास के फायदे :

  • कोष्ठ शुद्धि या क़ब्ज़ रोग को दूर करने के लिए अमलतास के गूदे का अलग-अलग ढंग से प्रयोग किया जाता है।
    अमलतास की फल मज्जा की 5 से 10 ग्राम मात्रा 200 मि. लि. गाय के गरम दूध के साथ देने पर कोष्ठ शुद्धि होती है।
  • अमलतास की सूखी फली का 4 इंच का टुकड़ा कूटकर एक गिलास पानी डाल दें तथा उसमें 2 चम्मच सूखे गुलाब के फूल की पंखुड़ियों और 1 चम्मच मोटी सौंफ डालकर हल्की आंच पर उबलने रख दें। जब पानी आधा रह जाए तब छान कर हल्का गरम रहते रात को पीने से सभी प्रकार के क़ब्ज़ में लाभ होता है। पूर्ण लाभ हो जाने पर इस काढ़े का सेवन करना बन्द कर दें। यह काढ़ा कमज़ोर व्यक्ति, बच्चे,स्त्री तथा गर्भवती स्त्री को भी कुछ मात्रा कम करके दिया जा सकता है।
  • सौंफ 3 ग्राम, अमलतास का गूदा 3 ग्राम, छोटी हरड़ का मोटा चूर्ण 2 ग्राम तथा अनारदाना 5 ग्राम लेकर 2 कप पानी डालकर धीमी आंच पर उबालें। आधा शेष रहने पर उतारकर छान लें। इस काढ़े के सेवन से वर्षा ऋतु में होने वाले पेट सम्बन्धी सभी रोगों में लाभ मिलता है। ( और पढ़े – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण देसी घरेलु उपचार)
  • गरमी के मौसम में अमलतास के फूल एकत्रित कर शक्कर मिलाकर गुलकंद विधि की तरह अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर इसकी 1 चम्मच मात्रा लेने से भी क़ब्ज़ दूर होता है। अधिक मात्रा में इसका प्रयोग नहीं करें अन्यथा दस्त लगना, जी घबराना, मितली आना व पेट में मरोड़ होना आदि तकलीफें हो सकती हैं। इसकी उपयोगी मात्रा 2 से 3 ग्राम है।
  • अमलतास के गूदे को 20 ग्राम मात्रा में लेकर 150 मि.लि. पानी में रोज भिगोकर रात को सोने से पहले शक्कर या गुड़ मिलाकर लेने से सुबह क़ब्ज़ में राहत होती है।
  • अमलतास का गूदा और मुनक्का (काली द्राक्ष) दोनों 10-10 ग्राम मिलाकर खाने से शौच शुद्धि होती है।
  • अमलतास और ईमली के गूदे को पीसकर रख लें। इन दोनों की 10-10 ग्राम मात्रा सोने से पहले पानी में गलाकर लेने से सुबह पेट साफ़ होता है।

2. आमाशय शोधन में अमलतास के फायदे : कोई हानिकारक वस्तु खा लेने से होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए अमलतास के 5-6 बीज को पानी में पीस कर पिलाने से तत्काल उलटी हो जाती है। हानिकारक वस्तु बाहर निकल जाती है।

3. बच्चों के पेट दर्द में अमलतास के फायदे : 25 ग्राम अमलतास का गूदा लेकर नमक और गौमूत्र मिलाकर नाभि के आसपास लेप करने से पेट दर्द कम होता है। ( और पढ़े –पेट दर्द के 41 घरेलू उपचार )

4. भूख की कमी में अमलतास के फायदे : अमलतास का गूदा और मुनक्का-दोनों 10-10 ग्राम लेकर उबालकर छानकर रात में पिएं तथा सुबह भोजन के पूर्व अमलतास के दो से तीन पत्तों को चबाकर गरम पानी लेने से लाभ होता है। ( और पढ़े – )

5. मुंह के छाले में अमलतास के फायदे : अमलतास की गिरी और धनिया 3-3 ग्राम लेकर चुटकी भर कत्था मिलाकर तैयार चूर्ण को दो तीन बार चूसने से लाभ होता है। ( और पढ़े – मुह के छाले दूर करने के 101 घरेलु उपचार)

6.मूत्रकृच्छ में अमलतास के फायदे : अमलतास के बीज की गिरी को पानी में पीसकर लेप बना लें। नाभि से नीचे इसका गाढ़ा लेप लगाने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।

7. रक्तपित्त में अमलतास के फायदे : जब रोगी को अकस्मात नाक या मुंह से खून आने लगे तो अमलतास के 20 ग्राम गूदे में 10 ग्राम आंवला मिलाकर डेढ़ कप पानी में काढ़ा बना लें। फिर इस काढ़े को छानकर इसमें शहद 2 चम्मच व थोड़ी शक्कर मिलाकर देने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

8. बवासीर में अमलतास के फायदे :

  • अमलतास का गूदा 10 ग्राम, हरड़ 5 ग्राम व मुनक्का 10 ग्राम को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसका सुबह एक बार सेवन करने से बवासीर में रक्त जाना, रक्तपित्त कोष्ठ की शिकायत दूर होने के साथसाथ पेशाब की तकलीफ़ भी दूर होती है। ( और पढ़े –बवासीर के 52 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )
  • 20 ग्राम अमलतास के गूदे का काढ़ा बनाकर इसमें 3 ग्राम सेन्धा नमक व 10 मि.लि. गाय का घी मिलाकर देने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

9. आमवात में अमलतास के फायदे : गठिया के होने वाले दर्द के लिए अमलतास के दो तीन पत्तों को सरसों के तैल के साथ भूनकर शाम को भोजन के बाद देने से लाभ होता है।

10. बच्चों में न्यूमोनिया में अमलतास के फायदे : अमलतास की फली लेकर उसे जलाकर बारीक पीसकर शीशी में भरकर रख लें। जब बच्चों में न्यूमोनिया के कारण श्वास तेज़ चलती हो तो इस राख की एक चुटकी शहद के साथ चटाएं।

11. गंडमाला में अमलतास के फायदे : गले के नीचे की ओर जब कोई गांठ जैसी दिखाई दे तो अमलतास की जड़ को बारीक पीस कर इस चूर्ण का लेप लगाने से लाभ होता है।

12. ज्वर में अमलतास के फायदे : नये ज्वर में जब मलावरोध हो तो इसके काढ़े को गुलकंद के साथ देने से लाभ होता है तथा शुष्क गांठदार मल बाहर आ जाता है। कमज़ोर प्रकृति वालों को दूध के साथ अमलतास का काढ़ा देना चाहिए।

13. कुष्ठ या चर्मरोग में अमलतास के फायदे :

  • अमलतास के पंचागं अर्थात् पत्र, पुष्प, फल, जड़ व तना को मिलाकर काढ़ा बनाकर उससे स्नान करने, हाथ-पैर धोने से चर्मरोग में लाभ होता है।
  • अमलतास के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुष्ठ व मण्डल कुष्ठ के चकत्तों में लाभ होता है।

14. पीलिया – अमलतास का गूदा, पिपलामूल, नागरमोथा, कुटकी, हरड़- सभी 5-5 ग्राम लेकर एक कप पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पन्द्रह दिनों तक लेने पर कामला या पीलिया रोग में लाभ होता है।

अमलतास के नुकसान : Amaltas ke Nuksan in Hindi

  • वैसे तो यह बहु उपयोगी और निरापद औषधि है परन्तु लम्बे समय तक इसको नियमित सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इसके अधिक प्रयोग से मूत्र का रंग गहरा हो जाता है तथा मूत्र रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • इसकी मज्जा में एक विशिष्ट गंध या हीक होती है जिससे इसके नियमित सेवन करने पर अरुचि उत्पन्न हो जाती है अतः इसे थोड़े गुलकन्द मिले जल के साथ उबाल छान कर पीना ठीक रहता है।
  • केवल अमलतास का गूदा देने पर उदर में पीड़ा हो तो इसमें गुड़ मिलाकर सेवन करना चाहिए।
  • अमलतास लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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