बिल्डिंग के जरुरी 22 वास्तु नियम | Vastu Advice for Building

Last Updated on July 22, 2019 by admin

आवास समूह एवं वास्तु नियम : Vastu Tips for Building

भवन निर्माण में सुविधा यह है कि इसमें एक गृह मालिक अपनी इच्छानुसार वास्तु के नियमों का पालन करते हुए अपने भवन का निर्माण करता है । इसमें वह निर्माण के साथ वास्तु नियमों को नजर में रखकर अपनी संपूर्ण सुविधाओं का भी खयाल रख सकता है।
पर आजकल छोटे, मध्यम एवं मेट्रोपोलिटन शहरों में आवास की जटिल समस्याओं के कारण आवास समूह की योजना सरकार एवं निजीसंस्थानों द्वारा बनायी जा रही है। इस प्रकार के सामूहिक आवास योजना में कई मकान वास्तु दोष के शिकार होते हैं एवं कई दोष मुक्त होते हैं । अत: इस प्रकार के भूखंडों को विभाजित एवं भवन निर्माण करते समय वास्तुशास्त्र के नियमों का ध्यान रखा जाएगा तो सही एवं उत्तम होगा । वास्तु नियम निम्नानुसार है । वास्तु बिल्डिग बहुत सावधानीपूर्वक बनवाना चाहिए।

(1)   कालोनी का डिजाईन इस प्रकार किया जावे कि सभी प्लाट उत्तर से दक्षिण में समकोण रेखा पर स्थित हों।Vastu tips For Building Construction
(2)   कालोनी के चारों तरफ कुछ जमीन खाली रखनी चाहिए।  ( और पढ़ें – वास्तु टिप्स: कौन सा समय किस काम के लिए होता है शुभ )
(3)   अधिकत्तम भूखंडों का मुख पूर्व या उत्तर में रखने का प्रयास करना चाहिए।
(4)   अधिकांश खुली जमीन उत्तर की ओर होनी चाहिए एवं दक्षिण की ओर कम खुली जमीन रहनी चाहिए।
(5)   आवश्कतानुसार भूमि शोधन कर लेना चाहिए।  ( और पढ़ें – मुख्‍य द्वार के 12 वास्तु टिप्स )
(6)   भूखंड पश्चिम से अधिक पूर्व की ओर खुली रहनी चाहिए।
(7)   भूमिगत जलसंसाधन जो कि पूरी आवास के उपयोग हेतु बनाने का प्रवाधान हो उसे उत्तर-पूर्व क्षेत्र में ही बनाना चाहिए।
(8)   कालोनी की ऊंचाई दक्षिण एवं पश्चिम में अधिक होनी चाहिए। ( और पढ़ें – वास्तु अनुसार घर के किस दिशा में क्या होना चाहिए )
(9)   यदि ऊपरी पानी की टंकी बनाने का प्रावधान हो तो दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में ही बनाना चाहिए।
(10)   कालोनी की ऊंचाई उत्तर एवं पूर्व की ओर कम होनी चाहिए।
(11)   कालोनी में बगीचे आदि हरियाली हेतु उत्तर पूर्व या उत्तर-पूर्व क्षेत्र में ही बनाने चाहिए।
(12)   बरामदा पूर्व एवं उत्तर की ओर होना चाहिए।  ( और पढ़ें – वास्तु टिप्स जो आपके भाग्य को चमका देंगे  )
(13)   कालोनी में विद्युत व्यवस्था के लिए ट्रांसफार्मर्र या अन्य उपकरण दक्षिण पूर्व में ही स्थापित करना चाहिए।
(14)   खिड़कियां अधिकांश पूर्व एवं उत्तर की ओर होनी चाहिए।
(15)   भूखंडों के बीच में रखे जाने वाले मार्ग की चौड़ाई बिल्डिंग की ऊंचाई के नियमानुसार होनी चाहिए।
(16)   दक्षिण एवं पश्चिम की ओर अधिक खिड़कियां नहीं होनी चाहिएं।
(17)   कालोनी के प्लाटों पर भवन बनाते समय चारों तरफ खुला स्थान रखने का प्रावधान करना चाहिए एवं प्लाटों में भी उत्तर व पूर्व की ओर अधिक खाली स्थान रखना चाहिएं।
(18)   एक दूसरे से लगते हुए भूखंड पर मकानों की दीवारें आपस में मिलती हुई नहीं बनानी चाहिए।
(19)   कालोनी के प्रत्येक मकान की पश्चिम एवं दक्षिण की दीवार बहुत भारी होनी चाहिए।
(20)   कालोनी के बनने वाले मकानों में हल्की दीवारें पूर्व एवं उत्तर की ओर होनी चाहिए।
(21)   पूर्व एवं उत्तर की ओर अधिक दरवाजे होने चाहिएं।
(22)   बरसात एवं घर के प्रयोग में आए जल की निकासी ईशान, उत्तर या पूर्व की ओर हो ।

नीचे कालोनी का एक स्वरुप दिया जा रहा है जिनमें कुछ प्लाट वास्तुमतानुसार श्रेष्ठ, उत्तम एवं कुछ दोषपूर्ण है |

shape of building according to vastu

(a) यह निर्माण उत्तम है । इसमें मकान बनाते समय चहार दीवारी की एक तरफ की दीवार प्रयोग में लायी गयी है । वास्तुशास्त्र इसकी अनुमति देता है।

shape of building according to vastu

(b) यह निर्माण सर्वोत्तम है। प्रत्येक प्लाट का निर्माण स्वतंत्र रूप से हुआ है। चहारदीवारी का प्रयोग भवन निर्माण में नहीं किया गया।

shape of building according to vastu

(C) यह निर्माण दोषपूर्ण है। वास्तुशास्त्र इस तरह के निर्माण का त्याग करता है। इसमें दो मकान संयुक्त रूप से बने हैं। यह निर्माण निषेध है।

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