टूटी हड्डी जल्दी जोड़ने के 12 देसी नुस्खे |Tuti Haddi jodne ke Gharelu Upchar

Last Updated on November 21, 2019 by admin

हड्डी टूटने (अस्थिभंग) के प्रकार : haddi tutne ke prakar

गिरने से, दुर्घटना से कई बार व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है। यह टूटना कई प्रकार का होता है जैसे

1. साधारण हड्डी टूटना (Simple fracture)- इसमें हड्डी एक स्थान से टूटती है व उसका असर शरीर के अन्य भाग पर नहीं पड़ता।
2. उलझी हुई टूटन (Complicated fracture)- इसमें हड्डी ऐसे टूटती है, जिससे शरीर के अन्य अंगों को क्षति पहुँचती है।
3. कम्पाउंड टूटन (Compound fracture)- इसमें हड्डी टूटकर त्वचा से बाहर आ जाती है।
4. बहुसंख्यीय टूटन (Commuted fracture)- हड्डी कई स्थानों से टूट जाती है।
5. सोंधिया टूटन (Impacted fracture)- हड्डी टूटकर दूसरी हड्डी में फँस जाती है।
6. दबी अस्थिभंग (Depressed fracture)- इसमें खोपड़ी के ऊपरी भाग के आस-पास की हड्डी टूट जाने पर अंदर फँस जाती है।
7. ग्रीन स्टिक अस्थिभंग (Greenstick fracture)- बालकों की मुलायम हड्डी फट जाती है।

हड्डी टूटने (अस्थिभंग ) के लक्षण (Symptoms) : haddi tutne ke lakshan

1. टूटने के स्थान पर दर्द व सूजन होती है।
2. बहुत दर्द होता है।
3. अंग का हिलना-डुलना बंद हो जाता है।
4. अंग शक्तिहीन हो जाता है।
5. हड्डी का आकार बदल जाता है।
6. हड्डी की किरकराहट की आवाज आना।

हड्डी टूटने पर प्राथमिक उपचार : haddi tutne par prathmik upchar

अस्थिभंग के मामलों में प्राथमिक चिकित्सा केवल निम्न तक ही सीमित रखनी चाहिए:
(i)   और अधिक क्षति होने से बचाना। आहत भाग को पकड़ते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि नरम ऊतकों को नुकसान न पहुंचे।
(ii)   दर्द को कम-से-कम रखते हुए रोगी को आराम देना। tuti haddi jodne ka desi ilaj
(iii)   टूटे हुए हिस्से को नीचे से तथा चारों ओर से पूरा सहारा देना। रोगी को तब तक स्थानांतरित न किया जाए, जब तक आहत अंग को खपच्चियों की मदद से पर्याप्त सहारा न दे दिया गया हो।
(iv)   सदमे से बचाव के लिए रोगी को गरम रखना आवश्यक है।
(v)   अस्थिभंग की स्थिति में टूटे हिस्से पर कम-से-कम दखल दें। उतना ही करें, जो रोगी को स्थानांतरित करने के वास्ते कम-से-कम व अत्यावश्यक हो। अस्थिभंग के प्रत्येक मामले को प्राथमिक चिकित्सा के उपरांत अनिवार्य रूप से अस्पताल भेज देना चाहिए। कपड़े नहीं उतारने चाहिए। यदि यह अति आवश्यक हो भी जाए, तो बहुत सावधानीपूर्वक ऐसा करें। खुले अस्थिभंग की स्थिति में घाव को हल्के से एक सूखे रोगाणुमुक्त पट्टी लगाकर रक्तस्राव को रोकें। यदि रक्त धमनी से निकल | रहा हो, तो दबाव बिंदु पर उंगलियों से दबाइए या एक रक्तबंध लगाइए।
(vi)   यदि हड्डी के टूटने की थोड़ी भी आशंका हो, तो बिना समय गंवाए रोगी को सावधानीपूर्वक डॉक्टर के पास ले जाएँ।

अस्थिभंग के मामले में कुछ निषेध निम्नानुसार हैं :

1•   मरीज के शरीर के जिस भाग की हड्डी टूटी हो, उस भाग को हिलाएँ-डुलाएँ नहीं। यदि कुल्हे, पेल्विस या पैर के ऊपरी हिस्से की हड्डी टूटी हो तो मरीज को बिलकुल नहीं हिलाएँ-डुलाएँ। यदि मरीज को कहीं और ले जाना जरूरी हो तो सावधानीपूर्वक ले जाएँ।
2•   टूटी हुई हड्डी को वापस जोड़ने की चेष्टा कभी न कीजिए।
3•   यदि टूटी हुई हड्डी के नजदीक से खून निकल रहा हो तो उसे न तो धोएँ और न ही उसकी सिकाई करें । घाव के ऊपर साफ कपड़ा रखकर पट्टी बाँध दें। १ टूटी हुई हड्डी को सीधा करने या उसकी स्थिति को बदलने की कोशिश नहीं करें।
4•   पैर या हाथ की टूटी हड्डी वाले हिस्से में स्लिंग या स्प्लिंट बाँधते समय इतना टाइट न बाँधे कि खून का बहाव ही रुक जाए। ३ टूटे हुए अंग पर कभी मालिश न करें।
5•   पसलियों के टूटने पर अधिक पीड़ा होती है, इसलिए रोगी को स्थिर रखें।

हड्डी टूटने पर क्या खाना चाहिए : haddi tutne par kya khaye

परवल के पत्ते, सहजन के फल,लाल साठी चावल, मटर का सूप, अंगूर, आंवला ये चीजे ,घी, मधु रसोनकन्द,अस्थिभंग में खाना चाहिए।

हड्डी टूटने पर क्या नहीं खाना चाहिए : haddi tutne par kya nahi khaye

अम्ल, लवण, कटु, क्षार और रूखे प्रदार्थ अस्थि भंग के रोगियों के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसी तरह खुली धूप, व्यायाम और मैथुन से भी बचाना चाहिए।
आइये जाने टूटी हड्डी जोड़ने के उपाय ,टूटी हड्डी जोड़ने की जड़ी बूटी, tuti haddi ka upchar,haddi jodne ka gharelu upay

टूटी हड्डी जल्दी जोड़ने के घरेलु उपाय : tuti haddi jodne ka desi ilaj

1)   अर्जुन वृक्ष के चूर्ण की फंकी लेकर दूध पीने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लेप करने से भी दर्द में आराम मिलता है।

2)    मजीठ और मुलहठी को चावलों के माँड़ के साथ पीसकर लगाने से टूटी हुई हड्डी की सूजन और पीड़ा दूर होती है।   ( और पढ़ें – टूटी हड्डी को शीघ्र जोड़ने के 15 घरेलु उपचार )

3)    महुआ और मजीठ को खटाई के साथ पीसकर लेप करने से टूटी हुई हड्डी . ‘जुड़ जाती है।

4)    बबूल के बीजों का चूर्ण शहद मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डी भी जुड़ जाती है।  ( और पढ़ें –हड्डियों को वज्र जैसा मजबूत बनाने के 18 देशी उपाय )

5)    चूना और मक्खन मिलाकर लगा दें और ऊपर से मोरपंख के रुओं की पट्टी बाँधने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। 5-7 दिन बाद पट्टी बदलते रहना हितकर है।

6)    दस ग्राम काकजंघा बँटी के रस में सात दाने कालीमिर्च पीसकर पिलाने से दो-तीन दिन में ही टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।  ( और पढ़ें – कालीमिर्च के 51 औषधीय प्रयोग )

7)    बबूल के पंचांग का 6 ग्राम चूर्ण-शहद और बकरी के दूध में मिलाकर पीने से तीन दिन में ही टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।

8)    सौ ग्राम शिलाजीत को 100 ग्राम पीपल के दूध में घोंटकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें। दो-दो गोली सुबह-शाम दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र ही जुड़ जाती है।

9)    विजयसार की लकड़ी का चूर्ण 4 ग्राम से 6 ग्राम तक प्रातः-सायं दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है और दर्द भी ठीक हो जाता है। साथ ही, टूटी हुई हड्डी पर इस लकड़ी को घिसकर लेप भी करना चाहिए।  ( और पढ़ें –  दूध पीने के 98 हैरान कर देने वाले जबरदस्त फायदे )

10)    एक ग्राम से तीन ग्राम तक शुद्ध शिलाजीत प्रतिदिन गाय के दूध के साथ खाने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।  ( और पढ़ें – शिलाजीत के हैरान कर देने वाले 21 फायदे )

11)    पीपल के 21 पत्ते पीसकर गुड़ मिलाकर 21 गोलियाँ बना लें। सात दिन तक 3 गोलियाँ प्रतिदिन (एक-एक गोली तीनों समय) गाय के दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।

12)    महुआ की ताजी छाल को पानी के साथ पीसकर 5-7 दिन तक टूटी हुई हड्डी पर बाँधने से हड्डी जुड़ जाती है।

टूटी हड्डी जोड़ने की दवा : tuti haddi jodne ki dawa

अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित टूटी हड्डी जोड़ शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां | हड्डी जोड़ने की औषधि

1)   सप्त धातु वर्धक बूटी (Sapta Dhatu Vardhak Buty )
2)   शुद्ध शिलाजीत कैप्सूल (Sudh Shilajit capsule)

प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |

नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।

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