शीघ्र स्खलन (शीघ्रपतन) के कारण लक्षण और इलाज | Shighrapatan ka ilaj

Last Updated on August 5, 2020 by admin

शीघ्रपतन / शीघ्र स्खलन क्या है इसके लक्षण : shighrapatan kya hai iske lakshan

सहवास के समय पुरुष वीर्य के शीघ्र निकल जाने को शीघ्रपतन कहते है। प्राकृतिक स्तम्भन शक्ति 2 से 5 मिनट तक होती है। इससे अधिक देर तक रति क्रिया रत रह पाना जोड़े के संयम-धारण तथा विशेष प्रेमालाप एवं उत्तम स्वास्थ्य के कारण सम्भव हुआ करता है, किन्तु 2 मिनट से भी कम स्तम्भन शक्ति रखने वाला पुरुष शीघ्रपतन का रोगी कहलाता है ।

शीघ्रपतन / शीघ्र स्खलन के कारण : shighrapatan ke karan in hindi

इस रोग का कारण मैथुन इच्छा की अधिकता, हस्त मैथुन, वीर्य प्रमेह, वीर्य की अधिकता, गुदा मैथुन करना, अत्यधिक मैथुन करना, वीर्य की गर्मी, अधिक आनन्द प्राप्ति की कामना से बाजारू तिलाओं की अत्यधिक मालिश करना, दिल, दिमाग और यकृत की कमजोरी, वीर्य का पतलापन, मूत्राशय में रेत, पेट में कीड़े, स्त्री के गुप्त अंग का तंग और शुष्क होना, लिंग की सुपारी पर मैल जमना, सुपारी की बबासीर, सुजाक, मूत्र मार्ग की खराश, प्रोस्टेट ग्लैन्ड की शोथ इत्यादि होता है। आइये जाने शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक उपाय के बारे में |

शीघ्रपतन / शीघ्र स्खलन का घरेलू इलाज : shighrapatan ka desi ilaj

1- इमली के बीजों को पानी में भिगोकर छिलका उतार लें और फिर छाया में सुखा लें । इमली की गिरी को कूट-छानकर चूर्ण बना लें और उसमें समान भाग मिश्री मिलाकर चौथाई चम्मच सुबह- शाम दो बार दूध के साथ फंकी लें पचास दिन के सेवन से वीर्य गाढ़ा होगा और शीघ्रपतन दूर होगा । ( और पढ़ेवीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय)

2- केरेले के पत्ते और करेला को आग में हल्का-सा भूनकर पीस लें और 3-3 माशे की गोलियाँ बना लें। एक गोली दूध के साथ खाकर ऊपर से थोड़ा-सा शहद चाट लें। इससे स्तम्भक-शक्ति बढ़ती है। गरम प्रकृति के व्यक्ति के लिए यह दवा नहीं खानी चाहिए।

3-दालचीनी और काले तिल बराबर मात्रा में लेकर पीस लें फिर शहद मिलाकर 7-7 माशे की गोलियाँ बना लें। सोते समय 1 गोली पानी के साथ खाने से शीघ्रपतन नहीं होता है। ( और पढ़े  स्वप्नदोष रोकने के अचूक घरेलू नुस्खे )

4- कौंच के बीज और सफेद मूसली को समभाग लेकर चूर्ण बना लें । सोते समय 4 माशा चूर्ण दूध में उबालकर पीने से शीघ्रपतन मिट जाता है।

5- ऊँटकटारा की जड़ शक्कर के साथ लेने से वीर्य-स्तम्भन होता है शीघ्रपतन मिट जाता है।

6- जङ्गली उपलों की राख, घी और समुद्रफेन मिलाकर खाने से वीर्य-स्तम्भन होता है। ( और पढ़ेहस्तमैथुन से आई कमजोरी का इलाज)

7- कसोंदी की जड़ की सूखी छाल सात माशा पीसकर शहद के साथ गोली बना लें। एक गोली एक प्याला दूध के साथ सोते समय खाने से शीघ्रपतन मिट जाता है।

8- एक तोला तुलसी के बीज, दो तोला अकरकरा और तीन तोला शक्कर पीसकर चूर्ण बना लें। रात को एक माशा चूर्ण दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन मिटता है।

9- दूध-चावल के साथ समुद्रफेन खाने से वीर्य-स्तम्भन होता है।

10- गाय के मट्ठे के साथ गोरखमुण्डी 14 दिन तक खाने से स्तम्भन-शक्ति बढ़ती है।

11- लजालू के बीज, आइखरा के बीज और खुरासानी अजवायन समभाग लेकर उसमें गुड़ मिलाकर गोली बना लें। एक गोली सुबह दही के साथ खाने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।

12- भाँगरा के रस के साथ नागदोन खाने से वीर्य-स्तम्भन होता है।

13- पान के साथ पुनर्नवा खाने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।

14- सफेद कनेर की जड़ को गाय के दूध में डालकर उबालें। ठण्डा होने पर दूध का दही जमा दें। दही को मथकर मक्खन निकाल लें। यह मक्खन पान में लगाकर खाने से शीघ्रपतन मिटता है।

15- 3 माशा अकरकरा, काली तुलसी के बीज 24 माशा, मिश्री 27 माशा को बारीक कूट-पीसकर रख लें। यह चूर्ण खाने से वीर्य स्खलित नहीं होता।

16- एक तोला इमली के बीज लेकर चार दिन तक पानी में भिगो रखें। फिर उन्हें छीलकर चार वर्ष पुराना गंड़ दुगुने वजन के बराबर मिलाकर चने के आकार की गोलियाँ बना लें। इन्हें खाने से स्तम्भन शक्ति बढ़ती है। पन्द्रह दिन तक ब्रह्मचर्य पूर्वक सेवन करें।

17- विदारीकन्द का चूर्ण बनाकर रख लें। 2 तोला चूर्ण गूलर के स्वरस में मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध में घी मिलाकर पी जायें, इससे शीघ्रपतन में लाभ होता है।

18- तीन माशा बरगद के वृक्ष की कोंपलें, 3 माशा गूलर के वृक्ष की छाल और छः माशा मिश्री सिल पर पीसकर लुगदी बना लें, इसे खाकर ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। इसका 40 दिन तक सेवन करने से स्तम्भन-शक्ति बढ़ती है।

19- गिलोय का सत और वंशलोचन समभाग मिलाकर पीस लें। दो ग्राम दवा खाने से स्खलन नहीं होता है।

20- डेढ़ ग्राम कुलिंजन का चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर पीने से शीघ्रपतन नहीं होता है।

21- बरगद के वृक्ष की छाल को सुखाकर बारीक पीस लें तथा इसके बराबर मिश्री मिलाकर रख लें। 6 ग्राम दवा सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि रोग मिटते हैं।

22- बरगद के कच्चे फलों को छाया में सुखाकर पीस लें। 10 ग्राम या प्रातः गाय के दूध के साथ लेने से स्वप्नदोष और शीघ्रपतन मिट जाता है।

23- एक ग्राम बारीक पिसी राल को रात में सोते समय दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन दूर होता है।

24- शुद्ध भाँग 24 ग्राम को 1 ढीली पोटली में बांधकर 1 कि, ग्रा, गाय के दूध में डालकर पकाकर खोया तैयार करें और फिर पोटली को निकालकर फेंक दें । तदुपरान्त शुद्ध देशी घी 100 ग्राम में इस खोये (मावा) को भून लें । फिर आधा किलो खान्ड मिला लें और मीठे बादामों की गिरी (छिलका रहित), शुष्क नारियल की गिरी छिली हुई, पिस्ता की गिरी, हरी किशमिश, चिलगोजा की गिरी प्रत्येक 30 ग्राम को पीसकर मिलाकर पुनः भूनें । अन्त में आग से उतारकर कौंच के बीजों की गिरी, इमली के बीजों की गिरी, छोटा गोखरू, सफेद मूसली, काली मूसली, असगन्ध-नागौरी, सालब मिश्री प्रत्येक 12 ग्राम, लाल बहमन, सफेद बहमन, सौंठ, छोटी इलायची के बीज प्रत्येक 3 ग्राम लें सभी का सुरमें की भांति चूर्ण बनाकर उक्त मेवा औषधि में मिलाकर सुरक्षित रखलें । इस पाक को 30 ग्राम की मात्रा में प्रात:काल निहार मुँह (बिना कुछ खाये) गाय के दूध के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन, मर्दाना कमजोरी और वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है । अतीव गुणकारी रामबाण योग है।

25- शुद्ध भाँग 12 ग्राम, जायफल, बबूल की गोद भुनी हुई कुन्दर, चुनियां गोंद, मस्तंगी प्रत्येक 3 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी, जामुन की गुठली की गिरी, प्रत्येक 6 ग्राम, विशुद्ध केसर डेढ़ ग्राम लें । सभी को विशुद्ध गुलाबजल में खरल करके चने के आकार की गोलियां बनाकरके सुरक्षित रखलें । ये 2 से 3 गोलियाँ रात्रि को सोते समय खाते रहने से स्तम्भन शक्ति उत्पन्न होकर शीघ्रपतन रोग नष्ट हो जाता है ।

26- सत्व गिलोय और वंशलोचन लेकर कूटपीसकर सुरक्षित रखलें । प्रतिदिन यह 2 ग्राम औषधि शहद के साथ सेवन करने से 1 सप्ताह में वीर्य गाढ़ा हो जाता है और स्वतः स्खलित नहीं होता है । अपूर्व वीर्य स्तम्भक योग है।

27- अकरकरा, सौंठ, कपूर, केसर, पीपली, लौंग प्रत्येक 1 तोला लेकर कूट पीसकर छानकर चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । यह 1-1 गोली प्रात:सायं दूध से खायें । ऐसे रोगी जो काफी इलाज करवाकर निराश हो गये हों, इस योग का सेवन करें।

28- कुशतिला 3 मासा, रस सिन्दूर 6 माशा, कपूर 6 माशा, जायफल 1 तोला, पीपली 1 तोला, कस्तूरी (शुद्ध) 1 माशा-लेकर पानी की सहायता से 11:रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । यह 1 गोली रात को सोते समय दूध में शहद मिलाकर सेवन करें। यह योग प्रथम दिन से ही अपने शक्तिशाली होने का प्रभाव दिखलाता है ।

29- कौंच के बीज और ताल मखाना समान मात्रा में लेकर कूट पीसकर छानकर सुरक्षित रखलें । इसे 3 माशा की मात्रा में (रति क्रिया का परहेज रखते हुए) निरन्तर 1 मास तक दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन रोग नष्ट हो जाता है ।

30- जामुन की गुठली का चूर्ण 4 माशा की मात्रा में प्रतिदिन शाम को गुनगुने दूध से खाने से शीघ्रपतन रोग नष्ट होता है तथा वीर्य भी बढ़ता है ।

31- लाजवन्ती के बीज और खान्ड सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें । इसे 6 माशा की मात्रा में प्रतिदिन दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन दूर होकर वीर्यवृद्धि हो जाती है ।

32-बह्मदण्डी का चूर्ण 6 माशा की मात्रा में प्रतिदिन खाने से शीघ्रपतन रोग दूर हो जाता है ।

33- बहुफली का चूर्ण 5 माशा की मात्रा में 15 दिन खा लेने से शीघ्रपतन का रोग दूर हो जाता है ।

34- जंगली बेर की गुठलियों की गिरी पीसकर उसमें उससे आधी खांड मिलाकर सुरक्षित रखलें। इसे 12 ग्राम की मात्रा में नित्य सुबह-शाम गोदुग्ध से सेवन करने से शीघ्रपतन का रोग नष्ट हो जाता है ।

35- स्त्री का स्मरण करते ही यदि वीर्य निकल जाता हो तो काली मूसली का चूर्ण बंग-भस्म के साथ सेवन करना हितकर है।

शीघ्रपतन / शीघ्र स्खलन की आयुर्वेदिक दवा : shighrapatan ki goli /dawa

शीघ्रपतन(शीघ्र स्खलन) में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |

  • सुवर्ण वसंत मालती
  • रजत मालती टेबलेट

(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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