बालक जन्मे तो क्या करें ?

Last Updated on July 24, 2019 by admin

बच्चे के जन्मते ही नाभि-छेदन तुरंत नहीं बल्कि 4-5 मिनट के बाद करें। नाभिनाल में रक्त-प्रवाह बंद हो जाने पर नाल काटें। नाल को तुरंत काटने से बच्चे के प्राण भय से अक्रान्त हो जाते हैं, जिससे वह जीवन भर डरपोक बना रहता है।

बच्चे का जन्म होते ही, मूर्च्छावस्था दूर करने के बाद बालक जब ठीक से श्वास-प्रश्वास लेने लगे, तब थोड़ी देर बाद स्वतः ही नाल में रक्त का परिभ्रमण रूक जाता है। नाल अपने-आप सूखने लगती है। तब बालक की नाभि से आठ अंगुल ऊपर रेशम के धागे से बंधन बाँध दें। अब बंधन के ऊपर स नाल काट सकते हैं।

नाभि-छेदन के बाद बच्चे की जीभ पर सोने की सलाई से (सोने की न हो तो चाँदी पर सोने का पानी चढ़ाकर भी उपयोग में ले सकते हैं) शहद और घी के विमिश्रण(दोनों की मात्रा समान न हो) से ‘ॐ’ लिखना चाहिए, फिर बच्चे को पिता की गोद में देना चाहिए। पिता को उसके कान में या मंत्र बोलना चाहिएः

ॐॐॐॐॐॐॐ… (सात बार ॐ) अश्मा भव। – तू ! पाषाण की तरह अडिग रहना।

ॐॐॐॐॐॐॐ… (सात बार ॐ) परशुः भव। तू ! कुल्हाड़ी की तरह विघ्न-बाधाओं का सामना करने वाला बनना।

ॐॐॐॐॐॐॐ… (सात बार ॐ) हिरण्यमयस्तवं भव। – तू ! सुवर्ण के समान चमकने वाला बनना।

ऐसा करने से बच्चे दूसरे बच्चों से अलग व प्रभावशाली होते हैं।

प्रथम बार स्तनपान कराते समय माँ पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। स्तन पानी से धो के थोड़ा सा दूध निकलने देवे। फिर बच्चे को पहले दाहिने स्तन का पान कराये।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...