दीपावली पर विशेष लक्ष्मी प्राप्ति साधना | जीवन भर नहीं रहेगा धन का अभाव | Laxmi prapti Diwali Sadhana

Last Updated on July 22, 2019 by admin

दीपावली पर वेशेष लक्ष्मीप्राप्ति प्राप्ति साधना :Ghar me laxmi Aane ke Upay

★ स्थिर लग्न में, स्थिर मुहूर्त में जप धन को स्थिर करता है | दिवाली की रात लक्ष्मीप्राप्ति के लिए स्थिर लग्न माना गया है | लक्ष्मीप्राप्ति के लिए जापक को पश्चिम की तरह मूँह करके बैठना चाहिए | पश्चिमे च धनागम: |

★ तेल का दीपक व धूपबत्ती लक्ष्मीजी की बायीं ओर, घी का दीपक दायीं ओर एवं नैवेद्य आगे रखा जाता है |

★ लक्ष्मीजी को तुलसी, मदार ( आक ) या धुतरे का फुल नहीं चढ़ाना चाहिए, नहीं तो हानि होती है |

दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति की सचोट साधना-विधि :

प्रथम साधना विधि :

साधना धनतेरस से आरंभ करें

सामग्री : दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र, धूप अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र।

विधिःLaxmi prapti Diwali Sadhana

★ साधक अपने सामने गुरुदेव व लक्ष्मी जी के फोटो रखे तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र (रक्त कंद) बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दे।

★ उस पर केसर से सतिया बना ले तथा कुमकुम से तिलक कर दे।

★ बाद में स्फटिक की माला से मंत्र की 7 मालाएँ करे। तीन दिन तक ऐसा करना योग्य है। इतने से ही मंत्र-साधना सिद्ध हो जाती है।

★ मंत्रजप पूरा होने के पश्चात् लाल वस्त्र में शंख को बाँधकर घर में रख दें। कहते हैं – जब तक वह शंख घर में रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।

मंत्रः  ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः।

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दूसरी साधना विधि :

★ इस साधना को दीपावली से आरंभ करें

★ दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार की साधनाएँ करते हैं। हम यहाँ अपने पाठकों को लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यन्त सरल व मात्र त्रिदिवसीय उपाय बता रहे हैं।

★ दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक एक स्वच्छ कमरे में धूप, दीप व अगरबत्ती जलाकर शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला नित्य प्रातःकाल निम्न मंत्र की दो-दो मालाएँ जपें।

ॐ नमः भाग्यलक्ष्मी च विद् महे।
अष्टलक्ष्मी च धीमहि।
तन्नोलक्ष्मी प्रचोदयात्।

दीपावली लक्ष्मीजी का जन्मदिवस है। समुद्र मन्थन के दौरान वे क्षीरसागर से प्रकट हुई थीं। अतः घर में लक्ष्मी जी के वास, दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करने वाले पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।

श्रोत – ” पर्वों का पुंजः दीपावली ” किताब से (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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