आध्यात्मिक अनुभव : गुरुकृपा का वह चमत्कार जिसे देख डॉक्टर भी रह गये हैरान | Spiritual Experience

Last Updated on July 22, 2019 by admin

ऑपरेशन के वक्त पू. बापू के दर्शन एवं यौगिक चमत्कार | Motivational story in Hindi

★ मैं आमेट का एक नंबर का शराबी था । पानी की तरह शराब पीता रहता था । अपने आपको शेर मानता था । गाँव के लोग मुझसे डरते भी थे । मुझे पू. बापू के प्रथम दर्शन के साथ ही न जाने क्या हुआ कि मैंने पू. बापू से सपरिवार दीक्षा ले ली । इससे मेरी कमाई का बडा हिस्सा जो व्यसनों में बरबाद होता था वह अब बंद हो गया । पहले कई बार मेरे घर में आसुरी दृश्य खडे होते थे । उसकी जगह अब सब में भक्तिभाव का गहरा असर है । अब मेरा पूरा परिवार नियमित रूप से गुरुमंत्र का जप, आसारामायण का पाठ करता है ।

★ एक बार मैं उदयपुर से मोटर साइकिल पर आ रहा था । मेरा गुरुमंत्र जप निरंतर चल रहा था । गाँव केलवा के पास एक जीपवाले ने बुरी तरह झपट में ले लिया । मैं बेहोश था । मुझे आमेट अस्पताल में दाखिल किया गया । जब मुझे होश आया तब मैंने देखा कि मेरे परिवार के लोग पू. बापू को प्रार्थना कर रहे थे ।

★ मेरे बचने की कोई संभावना न थी । मुझे २०७ टांके आये थे । १५ दिन अस्पताल में रहकर आया । परंतु मेरे दाहिने हाथ मैं जो फ्रेक्चर हो गया था उसका दर्द जारी था । अब उदयपुर के डाक्टरों के पास ऑपरेशन होना था । यह ऑपरेशन अगर फेल हो तो हाथ खोने का भय था । सुबह चार बजे ऑपरेशन था । सारी रात मुझे नींद न आयी । रातभर गुरुमंत्र का जप एवं गुरुदेव को प्रार्थना करता रहा ।

★ दिनांक : ३-१२-८७ के दिन ‘अंकित आर्थोपेडिकङ्क (मधुवन, उदयपुर) के डॉ. श्री रतनलाल शर्मा ने मेरा ऑपरेशन किया । ऑपरेशन थियेटर में मुझे बेहोशी में लाने के लिए दो इंजेक्शन दिये गये । पर मेरे गुरुदेव की अलौकिक कृपा का चमत्कार देखो । जहाँ मुझे बेहोश किया जा रहा था, उसी वक्त मुझे होश मिल रहा था । मैं स्थूल शरीर से अलग हो गया । ऑपरेशन थियेटर के मुख्य द्वार के सामने मेरे गुरुदेव पू. बापू श्वेत वस्त्रों में सजे हुये फकीरी चाल में चले आ रहे थे । मैंने साष्टांग दंडवत् प्रणाम किया ।

★ मैं रोने लगा बापू ने कहा :
‘‘अरे ! क्यों रोता है ? तुझे कुछ नहीं होगा चिन्ता मत कर । अभी अपना ऑपरेशन देख ।
मैं एक कोने में खडा रहा । पू. बापू भी वहीं खडे रहे । दो डॉक्टर एक कम्पाउन्डर ऑपरेशन में लगे थे । नर्स ने मेरा हाथ पकडा हुआ था । मैं कभी तो ऑपरेशन को देखता, कभी पू. बापू को गद्गद् होकर देखता । जैसे ही ऑपरेशन पूरा हुआ, पूज्य बापू की कृपा मूर्ति और उसके साथ का श्वेत प्रकाश लुप्त हो गये । मुझे (स्थूल शरीर में) होश आया तब मेरी पत्नी पलंग के सामने गुरुमंत्र का जप कर रही थी ।

★ दूसरे दिन जब डॉक्टर और कम्पाउन्डर मेरा ड्रेसिंग करने आये तब मैं मेरा अलौकिक अनुभव ऑपरेशन का साक्षित्व आदि उन्हें बताया । भौतिकवाद में उलझे
डॉक्टर यह बात समझ नहीं सके कि बेहोश आदमी ने कैसे अपना ऑपरेशन देखा । उन्होंने कहा कि :
‘‘आप को विलक्षण अनुभूति कैसे हुई ? तब मैंने गले में पहना पू. बापू का चाँदी का पेंडल दिखाकर कहा कि यह मेरे मस्त मौला गुरुदेव की अद्भुत चमत्कारिक कृपा का फल है । वेदव्यासजी ने संजय को दिव्य दृष्टि दी और उसने महाभारत का युद्ध मीलों दूर बैठकर देखा । उससे भी विशेष दिव्य दृष्टि मेरे गुरुदेव ने दी जो मैंने बेहोशी में ही होश पाकर अपना ही ऑपरेशन देखा ।

★ फिर तो डॉक्टर, उनकी धर्मपत्नी और दूसरे लोग भी मुझ बापू के कृपापात्र को मिलने आने लगे ।
गुरुकृपा और गुरुमंत्र ने मेरी नई जिंदगी बनायी । भयानक दुर्घटना से भी मुझे मुक्त किया । मैं नित्य आसारामायण का पाठ करता हूँ । तब ये पंक्तियाँ मेरे लिए जानदार हो जाती हैं :
सबको निर्भय योग सिखायें, सबका आत्मोत्थान करायें ।
सचमुच गुरु हैं दीनदयाल,
सहज ही कर देते हैं निहाल ।।
इनके पाठ पर मेरी आँखे भर जाती हैं ।

★ पू. बापू से मेरी यही प्रार्थना है कि ऐसे घोर कलिकाल में आप हमारे लिए वटवृक्ष हो प्रभु ! आप हमें अपनी छाया का दान देना और सबकी उन्नति करना । हे जगद्गुरु ! आप के श्रीचरणों में कोटि-कोटि साष्टांग दंडवत् प्रणाम्…!

-धर्मनारायण कल्याणसिहजी मौर्य
आमेट, जि. राजसमंद (राज.)

श्रोत – ऋषि प्रसाद मासिक पत्रिका (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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