ऋतु अनुसार सस्ते व पौष्टिक आहार | Ritu Anusar Saste aur Postic Aahar

Last Updated on July 22, 2019 by admin

आहार हमारे जीवन का आधार है, इसीलिए वेद में ”अन्नं वै प्राणाः” कहा गया है अर्थात् प्राणियों के प्राण अन्न में समाहित होते हैं। आहार-द्रव्यों की उत्पत्ति भी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के द्वारा होती है और हमारा शरीर भी पंचतत्त्वमय होने के कारण अपनी शक्ति की पूर्ति आहार द्वारा ही करता है।

यह आहार वनस्पतियों और अन्य प्राणियों से प्राप्त होता है। पृथ्वी से प्राप्त होनेवाले आहार-द्रव्यों में अन्न, धान्य, शाक, फल-कूल, कंद-मूल, तेल आदि का समावेश होता है और प्राणियों से प्राप्त होने वाले आहार में दूध, छाछ, घी, मक्खन, आदि का समावेश होता है।

आहार ग्रहण करते समय देश, काल एवं आयु तथा प्रकृति का ध्यान रखना नितान्त आवश्यक होता है और तदनुसार उसमें परिवर्तन करते रहना चाहिए। विपरीत ग्रहण किये हुए आहार विरुद्ध-आहार कहलाते हैं।

ऋतु के अनुसार भोजन : ritu ke anusar bhojan / aahar

1- साधारणत: दैनिक जीवन में धान्यों में गेहूं, चावल के अतिरिक्त दालों का प्रयोग आवश्यक होता है। दूध, छाछ, घी और इनसे बने पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में लेने चाहिए। इनसे चिकनाई का अंश प्राप्त होने से शरीर की रूक्षता नष्ट होती है और धातुओं का निर्माण ठीक प्रकार से होता है जिससे हृदय की क्रिया ठीक प्रकार से होकर नेत्रों की ज्योति को भी बल मिलता है।

2-विभिन्न प्रकार के हरे शाकों के सेवन से आमाशय व पक्वाशय में पाचन की क्रिया ठीक प्रकार से होती है तथा मल की शुद्धि भी उचित रूप से हो जाती है।

3- जीवन में फलों के सेवन से धातुओं का निर्माण ठीक प्रकार से होता है। मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं तथा पुरुषार्थ की वृद्धि होती है। लेकिन आहार ग्रहण करते समय ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन बहुत जरूरी होता है।

4-गर्मी के दिनों में दोपहर में हलके, पतले और ठंडी तासीर वाले और चिकनाई वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इनसे जल के भाग की कमी दूर होती है।

5-धान्य पदार्थों में गेहूं या जौ से बने सत्तू, दलिया, चावल, मूंग, अरहर, चना, मटर और ज्वार से बने विभिन्न पदार्थ सेवन करें।

6-दोपहर के बाद सस्ते फलों का सेवन करना रक्त को बढ़ानेवाला और स्कूर्तिदायक होता है।ritu ke anusar bhojan aahar

7-गर्मियों में रात को भोजन दिन की अपेक्षा अधिक हल्का होना चाहिए। और रात को सोते समय दूध का सेवन भी करना चाहिए ( भोजन से देड से दो घंटे का अन्तराल रखे )।

8-शीत ऋतु में परिश्रम की क्रियाएं अधिक होने से पेट की अग्नि प्रदीप्त होती है और भूख भी अधिक लगती है। अतः इस ऋतु में पौष्टिक आहार का विशेष रूप से सेवन करना चाहिए।

9-गेहूं, बाजरा, चना, मूंग, उड़द, मोठ, मसूर आदि तथा इनसे बने हुए विभिन्न पदार्थ हितकर होते हैं।

10-दूध, घी, मक्खन, रबड़ी, खीर, मलाई आदि अनेक मिष्ठान्न भी शक्तिवर्धक, ओजवर्धक एवं ग्राही सिद्ध होते हैं।

11-गाजर का हलवा, गुड़ एवं तिल के बने हुए पदार्थ भी शीत ऋतु में प्रिय होते हैं।

12-वर्षा ऋतु में हल्का तथा सुपाच्य भोजन ग्रहण करना चाहिए और इस ऋतु में सड़े-गले तथा बाजारू पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

13-साधारणतः एक स्वस्थ व्यक्ति के दिन-भर के आहार में आटा, दाल, चावल, शाक, दूध, दही, फल, घी-तेल, शक्कर आदि का समावेश होना नितान्त आवश्यक है।

14-दोपहर के भोजन में गाजर या टमाटर का सलाद, दही, दाल, रोटी तथा फलों का प्रयोग करना चाहिए।

15-रात्रिकालीन भोजन में सलाद, सब्जी तथा रोटियां। सोने से पूर्व एक गिलास दूध पीना चाहिए।

16-आहार ग्रहण करते समय अपनी प्रकृति को ध्यान में रखकर विपरीत प्रभाव वाले पदार्थों का प्रयोग त्याग देना चाहिए।

17-साधारणत: बुद्धिजीवी व्यक्ति के आहार में और श्रमजीवी व्यक्ति के आहार में भिन्नता होती है। बुद्धिजीवी व्यक्ति के आहार में फल एवं शाकों का परिमाण अधिक आवश्यक है और श्रमजीवी व्यक्तियों के आहार में चिकनाई का अंश, धान्य, कंद-मूल का समावेश विशेष रूप से होना चाहिए।

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